*“हिमालय संरक्षित रहेगा तो जल, जंगल और जीवन रहेगा” – त्रिवेन्द्र*

 

*“हिमालय संरक्षित रहेगा तो जल, जंगल और जीवन रहेगा” – त्रिवेन्द्र*

*“हिमालय केवल भूगोल नहीं, बल्कि हमारी जीवन रेखा है” – त्रिवेन्द्र*

नई दिल्ली। वन अग्नि की समस्या और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर केंद्रित लघु फिल्म ‘हिमालय की हृदय विदारक पुकार’ का विशेष मंचन नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस अवसर पर हरिद्वार सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया और अपने विचार रखे।

श्री रावत ने कहा कि इस लघु फिल्म का मंचन देखना एक अत्यंत भावुक एवं विचारोत्तेजक अनुभव रहा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हिमालय केवल भूगोल नहीं, बल्कि हमारी जीवन रेखा है। उसके संरक्षण के बिना न जल रहेगा, न जंगल और न ही जीवन। वन अग्नि जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास और जनजागरण ही सबसे प्रभावी उपाय हैं।

इस अवसर पर वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण, वन अग्नि नियंत्रण और हिमालय की रक्षा के लिए ठोस रणनीतियों पर विस्तृत विचार मंथन किया। सांसद रावत ने उपस्थित सभी हिमालय प्रेमियों से आह्वान किया कि वे प्रकृति की रक्षा और हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु एकजुट होकर संकल्प लें।

सांसद रावत ने कार्यक्रम के आयोजक महावीर राधा जांगड़ा और थ्री मस्किटर्स मीडिया को इस संवेदनशील विषय पर सार्थक पहल के लिए शुभकामनाएँ भी दीं।

इस अवसर पर नमामि गंगे के डॉ. भरत पाठक, डॉ. अपर्णा सोपोरी, शिक्षाविद डॉ. ऋचा सूद, अंतर्राष्ट्रीय एथलीट, पद्मश्री कमलिनी अस्थाना और पद्मश्री नलिनी अस्थाना (विश्व प्रसिद्ध कथक नृत्यांगनाएं) सहित बड़ी संख्या में हिमालय प्रेमी उपस्थित रहे।

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