वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा भूस्खलनों के लिए नवीनतम तकनीक!

वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा भूस्खलनों के लिए नवीनतम तकनीक!

विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा भूस्खलनों के न्यूनीकरण एवं सरंक्षणहेतु प्रयुक्त की जा रही नवीनतम तकनीकों व शोध कार्यों को साझा कर एक विस्तृत योजना बनाये जाने के दृष्टिगत उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण एवं आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 24 सितम्बर, 2018 होटल पेसेफिक में‘‘यूज ऑफ टैक्नोलॉजी फॉर रिड्यूसिंग लैण्डस्लाइड इंडयूज्ड लौसेस’’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 
कार्यशाला में डी.एम.एम.सी के अधिशासी निदेशक डा. पीयूष रौतेला द्वारा राज्य में घटित बड़े भूस्खलनों के इतिहास व उनसे हुयी व्यापक क्षतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1880 के नैनीतालभूस्खलन व 1893 में चमोली में निर्मित गौना तालसे आमजन व सार्वजनिक परिसम्पत्तियों के सुरक्षित बचाने हेतु अपनाये गये उपायों पर चर्चा की।
हैस्को के संस्थापक एवं प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्मश्री डा. अनिल प्रकाश जोशी ने राज्य के पारिस्थितकीय तंत्र को बेहद संवेदनशील बताया। इसके संरक्षण के लिये उन्होंने नीति नियंताओं से धरातल पर कार्य किये जाने की वकालत की
उत्तराखण्ड के भूस्खलन संवेदनशील क्षेत्रों के लिये 1ः50000 स्केल पर मानचित्र विकसित किये गये जिनका उपयोग भूस्खलन संवदनशील क्षेत्रों के चिन्हांकन, भू-उपयोग व उनके वर्गीकरण हेतु किया जा सकता है। उन्होंने भूस्खलन पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित किये जाने की भी वकालत की। 
संस्थान, केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली,लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, सिविल सोसाइटी, परिवहन विभाग, विश्व बैंक सहायतित परियोजना के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। 
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए देहरादून से अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट /

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