सॉलिसिटर जनरल से खनन कारोबारियों की पैरवी कराने पर क्यों आमदा है सरकार – मोर्चा !

सॉलिसिटर जनरल से खनन कारोबारियों की पैरवी कराने पर क्यों आमदा है सरकार – मोर्चा !
Why is the government intent on lobbying the mining businessmen from the Solicitor General – Front :-

# महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों की फौज क्यों हो गई फ्लॉप ! # क्या 100-150 सरकारी वकीलों का अमला है सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि को! # लाखों-करोड़ों रुपया बहाया जा रहा सरकारी अमले पर | # जन सरोकार के मामलों में क्यों याद नहीं आती दिल्ली के बड़े वकीलों की ! विकासनगर – पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मा. उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित खनन कारोबार से जुड़ी दो जनहित याचिकाएं 104/2019 व 212/2019, जिसके द्वारा स्टोन क्रेशर/ स्क्रीनिंग प्लांट पॉलिसी को चुनौती दी गई है तथा इस मामले में सुनवाई हेतु 22/07/2021 की तिथि नियत है | उक्त याचिकाओं के माध्यम से जनपद हरिद्वार, उधम सिंह नगर व नैनीताल के लगभग 300 से अधिक स्क्रीनिंग प्लांट्स/ स्टोन क्रशर को स्कूल,अस्पताल आवासीय तथा धार्मिक क्षेत्र इत्यादि स्थानों से 300 मीटर दूर रखने एवं एक सुझाव के तहत अन्यत्र (औद्योगिक आस्थान/ क्षेत्र के रूप में विकसित कर) स्थापित किए जाने तथा पर्यावरण संरक्षण किए जाने से संबंधित है | नेगी ने कहा कि सरकार की छटपटाहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उक्त याचिकाओं में पैरवी हेतु सरकार द्वारा प्रदेश के महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों की टीम को दरकिनार कर सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया श्री तुषार मेहता को विशेष रुप से आबद्ध किया गया है | कहीं खनन कारोबारियों का अहित न हो जाए; इसलिए मा.सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली में तैनात सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को आबद्ध (एंगेज) किया गया | नेगी ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मा. उच्च न्यायालय में तैनात सरकारी वकील नाकाबिल हैं या खनन कारोबारियों का सरकार पर दबाव है ! अधिकांश मामलों में सरकार द्वारा बाहर के वकील बुलाकर वादों में पैरवी करानी पड़ रही है, जिसमें पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है ! नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इन 100-150 सरकारी वकीलों की फौज पर लाखों-करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, बावजूद इसके, इनकी नाकामी की वजह से अधिकांश मामले में मा. न्यायालय में रोजाना अधिकारियों की व्यक्तिगत पेशी के कारण कामकाज प्रभावित हो रहे हैं तथा अधिकारी रोजाना डांट खा रहे हैं | नेगी ने कहा कि सरकार को खनन कारोबारियों की तो चिंता है, लेकिन राज्य के कर्मचारियों, युवा बेरोजगारों, श्रमिकों, आंदोलनकारियों व आमजन के हितों की कोई चिंता नही है और न ही इनके मामले में पैरवी हेतु दिल्ली से बड़े (नामी-गिरामी) वकील बुलाए जाते हैं | पत्रकार वार्ता में- दिलबाग सिंह व अमित जैन थे |

आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए देहरादून से अमित सिंह नेगी के साथ ब्यूरो रिपोर्ट

 

Why is the government intent on lobbying the mining businessmen from the Solicitor General – Front :-

# Why did the army of Advocate General and Government Lawyers flop! # Is there a staff of 100-150 government lawyers only for political selfishness! # Lakhs and crores of rupees are being shed on government employees. Why don’t the big lawyers of Delhi remember in matters of public concern! Vikasnagar – Talking to reporters, Jan Sangharsh Morcha President and former Vice President of GMVN Raghunath Singh Negi said that Mr. Two Public Interest Litigations 104/2019 and 212/2019 related to the mining business organized in the High Court, Nainital, through which the stone crusher / screening plant policy has been challenged and the date of 22/07/2021 is fixed for hearing in this matter. Through the above petitions, more than 300 screening plants / stone crushers of Haridwar, Udham Singh Nagar and Nainital districts should be kept 300 meters away from places like schools, hospitals, residential and religious areas etc. and under a suggestion elsewhere (industrial places / areas). It is related to setting up and protecting the environment. Negi said that the government’s desperation can be gauged from the fact that the Solicitor General of India Shri Tushar Mehta has been specially bound by the government, bypassing the state’s Advocate General and the team of public prosecutors, for lobbying in the said petitions. | lest the mining traders be harmed; Therefore the Solicitor General of India posted in the Supreme Court, Delhi was engaged. Negi said that the biggest question is whether Mr. Government lawyers posted in the High Court are incompetent or there is pressure on the government from the mining businessmen! In most of the cases, outside lawyers have to be called by the government to defend the cases, in which money is being wasted like water Negi said that it is a matter of great misfortune that lakhs and crores of rupees are being spent on the army of these 100-150 government lawyers, despite this, due to their failure, in most of the cases, Mr. Due to the daily personal appearance of the officers in the court, the work is getting affected and the officers are getting scolded every day. Negi said that the government is concerned about the mining businessmen, but there is no concern for the interests of the state employees, youth unemployed, workers, agitators and common people, nor is there any big (reputable) lawyer from Delhi to advocate in their case. are called. In the press conference – Dilbag Singh and Amit Jain were there.

Bureau report with Amit Singh Negi from Dehradun for Idea for News

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