मां ने दूध बेचकर किया बड़ा! बेटा बना बागेश्वर धाम का पीठाधीश्वर, ‘धीरू’ ऐसे बने धीरेंद्र शास्त्री!
मां ने दूध बेचकर किया बड़ा! बेटा बना बागेश्वर धाम का पीठाधीश्वर, ‘धीरू’ ऐसे बने धीरेंद्र शास्त्री!
: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की माता प्यार से उनको धीरू कहकर बुलाती हैं. धीरू के बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर बनने की कहानी दिलचस्प है.
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्रीअपने बयानों के लिए सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा में बने हुए हैं. हर कोई जानना चाहते है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अचानक इतने फेमस कैसे हो गए और उनका प्रारंभिक जीवन कैसा था? वह कथावाचक कब बने? उन्होंने पर पहली बार कथा कब और कहां सुनाई? कथावाचक बनने की प्रेरणा उनको किससे मिली? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के परिवार को आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ा था, तब उनकी माता ने भैंस का दूध बेचकर उनका भरण-पोषण किया था. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मां उनको बचपन से धीरू कहकर बुलाती हैं. आइए जानते हैं कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, धीरू से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर कैसे बने?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में सन् 1996 में हुआ था. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर के गढ़ा गांव के रहने वाले हैं. पीठाधीश्वर बनने से पहले सभी लोग उनको धीरेंद्र गर्ग के नाम से जानते थे. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक बहन और भाई भी है. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के भाई का नाम सालिग राम गर्ग और बहन का नाम रीता गर्ग है.
जानकारी के मुताबिक, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन से ही हठीले और चंचल-चतुर स्वभाव के थे. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई. हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई भी उन्होंने गांव के ही एक स्कूल से की. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता पूजा-पाठ का काम करवाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे. हालांकि, बंटवारा होने के बाद उनके परिवार पर आर्थिक संकट छा गया था. इस दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की माता ने भैंस का दूध बेचा और परिवार को पाला.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कम उम्र से ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने गांव में लोगों को कथा सुनाना शुरू कर दिया था. धीरे-धीरे कथा सुनाने में वह निपुण हो गए थे. साल 2009 में उन्होंने पहली बार भागवत कथा पास के ही एक गांव में सुनाई थी. धीरे-धीरे वह आसपास के गांवों में भी फेमस हो गए. हालांकि, बुलडोजर वाले बयान के बाद उनको खासी प्रसिद्धि मिली और तब से वह लगातार चर्चा का विषय बने हुए हैं.
गौरतलब है कि दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री में बचपन से ही थी. उनके गांव में स्थित बागेश्वर मंदिर पर साल 2016 में विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था. उसमें भगवान बाला जी महाराज की एक मूर्ति की स्थापना भी की गई थी. तभी से यह जगह बागेश्वर धाम के नाम से मशहूर हो गई. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं.
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट।