टैक्स देने की टेंशन खत्म! वित्त मंत्री टैक्स भरने वालों के लिए कर सकती हैं ये 6 ऐलान!
टैक्स देने की टेंशन खत्म! वित्त मंत्री टैक्स भरने वालों के लिए कर सकती हैं ये 6 ऐलान!
फाइनें शिल ईयर 2018-19 से स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू करके टैक्स-फ्री मेडिकल रीइंबर्समेंट और यात्रा भत्ता छूट वापस ले ली गई थी. तब से, जबकि कटौती की मात्रा स्थिर बनी हुई है, मेडिकल खर्च और ईंधन लागत में बढ़ोतरी हुई है.
साल 2023 शुरू हो गया है. अब सबकी उम्मीद इस साल आने वाले बजट पर टिकी हैं. टैक्स भरने वालों के लिए वित्त मंत्री इस साल 6 ऐलान कर सकती हैं. इसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.
सरकार आने वाले बजट में पुरानी और नई कर व्यवस्था दोनों के तहत वार्षिक बुनियादी छूट सीमा को मौजूदा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है. 60 साल से कम आयु के टैक्स पेयर के लिए 2.5 लाख रुपये (पुरानी और नई कर व्यवस्था दोनों के तहत) की मौजूदा वार्षिक बुनियादी छूट सीमा वित्त वर्ष 2014-15 से समान है. जीवन की लागत में बढ़ोतरी, महंगाई, इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए जरूरी टैक्सपेयर की संख्या, सरकार द्वारा छोड़े गए कर राजस्व आदि जैसे कई कारकों पर विचार करते हुए इस सीमा पर फिर से विचार किया जा सकता है.
वित्त वर्ष 2014-15 से आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) की धारा 80C के तहत कटौती की सीमा को 1.5 लाख रुपये पर कैप किया गया है. धारा 80 सी के तहत अधिकांश कटौती करदाताओं को सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और सावधि जमा जैसे लंबी अवधि की बचत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है जो देश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए लॉन्ग टर्म फाइनेंस प्रदान करती है. इसके अलावा, करदाता होम लोन चुकाने, स्वयं और आश्रितों के लिए बीमा और बच्चों की पढ़ाई के लिए जरूरी राशि खर्च करते हैं. इसलिए, यह एक उम्मीद है कि कटौती की सीमा को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जा सकता है.
फाइनेंशिल ईयर 2018-19 से स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू करके टैक्स-फ्री मेडिकल रीइंबर्समेंट और यात्रा भत्ता छूट वापस ले ली गई थी. तब से, जबकि कटौती की मात्रा स्थिर बनी हुई है, मेडिकल खर्च और ईंधन लागत में बढ़ोतरी हुई है. इस प्रकार, मानक कटौती को 50,000 रुपये की मौजूदा सीमा से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने पर विचार करने का एक मेटर है.
वर्तमान में, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए कटौती की सीमा 25,000 रुपये है, जिसमें स्वयं, पति/ पत्नी और बच्चों के लिए चेकअप शामिल है, और माता-पिता के लिए 50,000 रुपये जिनमें से कम से कम एक सीनियर सिटीजन हो. यह देखते हुए कि अस्पताल में भर्ती होने की लागत और मेडिकल खर्च में बढ़ोतरी हुई है, इन सीमाओं को क्रमशः 50,000 रुपये और 1 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.
बाल शिक्षा भत्ता वर्तमान में बच्चों की एजुकेशन और हॉस्टर खर्च के लिए क्रमशः 100 रुपये और 300 रुपये प्रति बच्चा प्रति माह (अधिकतम दो बच्चों तक) की सीमा तक छूट प्राप्त है. छूट की ये रकम करीब दो दशक पहले तय की गई थी. इसलिए, हाल के दिनों में शिक्षा की लागत में बढ़ोतरी को देखते हुए इन छूट की सीमा को क्रमशः कम से कम 1,000 रुपये और 3000 रुपये प्रति बच्चे प्रति माह करने की संभावना है.
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट।