कैसा दुर्भाग्य उर्जा प्रदेश कैसे झेल रहा है 1000 करोड़ का नुकशान !
उत्तराखण्ड बिजली पैदा करता है 18175 मेगावाट मिल रही 5186 मेगावाट हर साल 1000 करोड़ का नुकशान झेल रहा इस की वजह से 41000 करोड़ रुपये का निवेश भी रुक रहा है /
उत्तराखण्ड कुल 18175 मेगावाट जल उत्पादन क्षमता में से मात्र 5186 मेगावाट क्षमता यानी 29 प्रतिशत का ही उपयोग कर पा रहा है। विभिन्न कारणों से 4028 मेगावाट की 34 परियोजनाएं ठप पड़ी हुई हैं। इन परियोजनाओं के निर्माण के सिलसिले में गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र के साथ मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक हुई।
बैठक में बताया गया कि ठप पड़ी जल विद्युत परियोजनाओं की वजह से राज्य को हर साल 1000 करोड़ रुपये की बिजली खरीदनी पड़ रही है। इसके अलावा राज्य सरकार का 2709 करोड़ रुपये का व्यय भी फंसा हुआ है। 41000 करोड़ रुपये का निवेश भी बाधित हो रहा है। केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया कि विशेषज्ञ दल की रिपोर्ट के आधार पर जल संसाधन, ऊर्जा और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय संयुक्त रूप से क्लीयरेंस के लिए प्रयास करे। दलील दी गयी कि राज्य सरकार जैव विविधता, पर्यावरण संरक्षण व नदियों की पवित्रता बनाये रखने के लिए जरूरी उपाय कर रही है। नदियों की अविरल और निर्मल धारा को बनाये रखने के लिए राज्य सरकार संकल्पबद्ध है। राज्य सरकार ने मजबूती से अपना पक्ष रखा और सकारात्मक सहयोग का अनुरोध किया।
प्रमुख सचिव प्रधानमंत्री श्री नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में केंद्रीय सचिव जल संसाधन, सचिव वन एवं पर्यावरण, सचिव ऊर्जा उपस्थित थे।
देहरादून से आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट /