आईआईटी रुड़की इस तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन एनआईएच रुड़की के सहयोग से कर रहा है ।

रुड़की वाटर कॉन्क्लेव 2020 की आईआईटी रुड़की में हुई शुरूआत

· आईआईटी रुड़की इस तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन एनआईएच रुड़की के सहयोग से कर रहा है ।

· अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, जापान, नीदरलैंड और यूके जैसे कई अन्य देशों के विशेषज्ञ सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

· कॉन्क्लेव का उद्देश्य हाइड्रोलॉजिक चुनौतियों का स्थायी समाधान खोजना है।

26 फरवरी 2020, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की (आईआईटी रुड़की) राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की (एनएचआई रुड़की) के सहयोग से रुड़की जल सम्मेलन-2020 (आरडब्ल्यूसी) का आयोजन कर रहा है। इस द्वि-वार्षिक आयोजन का पहला संस्करण आरडब्ल्यूसी-2020 आज आईआईटी रुड़की में शुरू हुआ। इसका समापन 28 फरवरी को होगा। आरडबल्यूसी-2020 के पहले संस्करण का विषय ‘हाइड्रोलॉजिकल आस्पेक्ट्स ऑफ क्लाइमेट चेंज’ है।

जलवायु परिवर्तन और जल संसाधनों पर उसके प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक हैं। कई अध्ययनों में यह अनुमान लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अगले सौ वर्षों में वैश्विक तापमान बढ़ जाएगा। यह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को और अधिक प्रासंगिक बनाता है। जल संसाधन की कमी का वैश्विक प्रभाव पड़ने की संभावना है| लेकिन, विकास के शुरुआती दौर से गुजर रहे देशों पर इस जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव हो सकता है, क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था मुख्यतया कृषि पर निर्भर होती है।

श्री आर.के. जैन, अध्यक्ष, केन्द्रीय जल आयोग, जलशक्ति मंत्रालय, जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा रेजुवनेशन, भारत सरकार, नई दिल्ली कॉन्क्लेव के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि थे। महानिदेशक, एनएमसीजी, और अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी सहित कई गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

उद्घाटन सत्र के दौरान जल संसाधनों के बेहतर उपयोग पर सरकार के संकल्प के बारे में बोलते हुए श्री आर.के. जैन ने देश में जल संसाधन प्रबंधन की समस्या पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “केवल 2.4 प्रतिशत भूमि क्षेत्र होने के बावजूद भारत के पास दुनिया के ताजे पानी के संसाधनों का लगभग चार प्रतिशत है। यह भारत को वैश्विक औसत की तुलना में एक बेहतर स्थिति प्रदान करता है। जहां तक पानी की बात है तो उच्च जनसंख्या, अस्थायी और अत्यधिक परिवर्तनशीलता के कारण, हम बहुत अधिक दबाव का सामना कर रहे हैं। पुरानी योजनाएँ और अनुमान पूरी तरह विफल रहे हैं। जल संसाधनों पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को देखते हुए हमें आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए नए तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। ”

प्रो. वी. पी. सिंह, विशिष्ट विजिटिंग प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की और गेस्ट ऑफ ऑनर ने कॉन्क्लेव के अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष को बधाई दी और कहा, ” यह श्रृंखला रुड़की के उत्कृष्ट और समृद्ध संस्कृति को बढ़ाने और बनाए रखने में योगदान देगा, जिसके लिए रुड़की दुनिया भर में जाना जाता

आरडब्ल्यूसी का एक खास आकर्षण नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के कार्यों की एक प्रदर्शनी है। नमामि गंगे भारत सरकार का एक फ्लैग्शिप प्रोग्राम है। एनएमसीजी आरडब्ल्यूसी के तुरंत बाद अर्थात 29 फरवरी और 1 मार्च, 2020 को स्कूली छात्रों के लिए दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन

एनआईएच रुड़की के निदेशक डॉ. शरद के. जैन ने कहा, “प्रत्याशित ग्लोबल वार्मिंग और पेय-जल स्रोत पर इसका परिणामी प्रभाव एक गंभीर चुनौती है, जिसका वैश्विक आबादी पर व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका है। ‘

पहले दिन के कार्यक्रमों पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी ने कहा, ” आरडब्ल्यूसी का पहला दिन थीम पर केंद्रित था और मुझे खुशी है कि भारत तथा दुनियाभर से आए विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये।

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