संवर्णो का खाना इतना महगा पड़ा की जान गवानी पड़ी!

संवर्णो का खाना इतना महगा पड़ा की जान गवानी पड़ी!

नैनबाग टिहरी के जितेंद्र दास को संवर्णो के साथ खाना खाना इतना महंगा पड़ गया कि उसे संवर्णो ने जात-पात के भेदभाव के चलते इतनी बेरहमी से मारा की अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। ये दुःखद खबर सुनते ही हंसते खेलते परिवार में मातम छा गया। परिजन और ग्रामीण देहरादून पहुंचे और पुलिस की कार्रवाई से नाराज़ परिजन मृतक के शव को लेकर मुख्यमंत्री आवास जाना चाह रहे थे लेकिन भारी पुलिस बल ने सबको रोक लिया और कार्रवाई का आश्वासन दिया, आख़िरकार नौ दिन के बाद जब युवक की मौत हो गई तब जाकर पुलिस नामजद तीन आरोपियों को गिरफ़्तार कर पाई है।
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वीओ- मेरा देश बदल रहा है, हम बदल रहे हैं, हम सब एक हैं, लेकिन ये बात झूठी सी लगती है जब एक युवक को सिर्फ इस बात के चलते बेहरहमी से पीटा जाता है कि उसने संवर्णो के साथ खाना खाने की हिम्मत की और वो भी कुर्सी में बैठकर। कमाल है! और ताज्जुब इस बात का, की किसी परिवार का इकलौता कमाने वाला उन लोगों ने मार डाला जो ख़ुद को बड़ी जात का कहते हैं, ये कैसी बड़ी जाट जो किसी के परिवार का चिराग छीन गई! 
वीओ- परिवार का रो रो कर बुरा हाल है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ये ग़रीब परिवार अब बेटे , भाई को वापस तो नही ला सकता लेकिन न्याय की गुहार लगा रहा है, पुलिस ने मौत के बाद तीन लोगों की गिरफ्तारी की है। परिजनों का कहना है कि 7 लोगों के खिलाफ नामजद मुक़दमा दर्ज है लेकिन इतनी बड़ी बात हो जाने के बाद भी अभी आरोपी गिरफ्त से बाहर हैं, पुलिस ने तीन की गिरफ्तारी भी टैब की है जब जान चली गई।
बाइट- परिजन
वीओ- मौके पर पुलिस अधिकारी और देहरादून एसडीएम भी मामले को देखकर मौजूद रहे पुलिस प्रशासन पर ग्रामीण और परिजनों का आरोप है कि इस मामले पर संवेदनशीलता नही दिखाई गई, जब एक बेक़सूर चला गया तब जाकर विभाग हरकत में आया है। मामले पर एसडीएम की माने तो तीन की गिरफ्तारी हो चुकी है और जो लोग शामिल हैं उस पर कारवाई की जा रही है। लेकिन सवाल लाज़मी है कि आखिर इस मामले पर नौ दिनों तक कोई कारेवाई क्यों नही हुई। क्या प्रशासन मौत के बाद ही जाग पाया।
बाइट- कमलेश मेहता, एसडीएम
वीओ- वहीं हताश और निराश, अपने बेटे को खोये परिजनों का कहना है कि जब तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नही हो जाती टैब तक अंतिम संस्कार नही किया जाएगा। मृतक की बहन ने पुलिस के रवैये पर साफ तौर पर कहा है कि पुलिस के द्वारा परिवार पर दबाव भी बनाया गया कि वे मुक़दमा वपास ले लें। लेकिन बेसहारा और लाचार बहन ने अपने भाई के इंसाफ के लिए लड़ाई को जारी रखा है। पुलिस पर ये सवालिया निशान खड़े होते हैं कि इतनी बेरहमी से बिना किसी कसूर के जितेंद्र को मार डालने की बाद भी पुलिस का ये कैसा चेहरा जो इंसाफ दिलाने के बजाय मुक़दमा वपास लेने की बात कह रहा है। बहरहाल पुलिस अब जाकर हरकत में है जब किसी परिवार का सबकुछ चला गया,,, अब देखने वाली बात होगी बाक़ी बचे दोशी कब तक सलाखों के पीछे होंगे।।
बाइट-पूजा, मृतक की बहन.
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट/

 

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