आई आई टी रुड़की और एन आई एच रुड़की के तत्वाधान में हो रहा वाटर कॉन्क्लेव 2020 का आयोजन
आई आई टी रुड़की और एन आई एच रुड़की के तत्वाधान में हो रहा वाटर कॉन्क्लेव 2020 का आयोजन
25 फरवरी 2020, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की (एनआईएच रुड़की) संयुक्त रूप से 26 फरवरी से 28 फरवरी 2020 के दौरान आईआईटी रुड़की में रुड़की वाटर कॉन्क्लेव (आरडब्ल्यूसी) का आयोजन कर रहे हैं। आरडब्ल्यूसी-2020 इस द्वी-वार्षिक आयोजन का पहला संस्करण होगा। आरडब्ल्यूसी-2020 के प्रथम संस्करण का फोकस “हाइड्रोलॉजिकल एस्पेक्ट्स ऑफ क्लाइमेट चेंज” पर होगा।
वर्तमान में जलवायु परिवर्तन और जल संसाधनों पर इसका प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक पर्यावरणीय चुनौती है। जलवायु परिवर्तन जल संसाधनों की आपूर्ति और प्रबंधन के लिए एक अनिश्चितता पैदा करता है। दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को महसूस किये जाने की संभावना है, लेकिन विकासशील देशों के और अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना है, क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। वहीं, ऊर्जा, पेयजल और भोजन के लिए जल की बढ़ती मांग के कारण जल संसाधन पर पहले से ही काफी दबाव है।
श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह, सचिव, जलशक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा रेजुवनेशन, भारत सरकार ने कॉन्क्लेव के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने की सहमति व्यक्त की है। महानिदेशक, एनएमसीजी, और अध्यक्ष सीडब्ल्यूसी सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी कॉन्क्लेव में अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
इस कार्यक्रम के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, स्पेन, जर्मनी, जापान, नीदरलैंड, यूके, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, इटली के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और आईआईएससी, आईआईटी, जेएनयू और इसरो जैसे शीर्ष राष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञ अपने ज्ञान और अनुभवों को साझा करेंगे। तेईस विदेशी तथा भारत के ग्यारह विशेषज्ञ मुख्य चर्चा में भाग लेंगे। 3-दिवसीय इस कॉन्क्लेव के दौरान विचार-विमर्श में कई महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया जाएगा। इसमें मुख्य रूप से बाढ़, सूखा तथा उनका प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत जल संसाधनों का मूल्यांकन और मॉडलिंग, नीतिगत ढांचे और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल रणनीतियों, जल-ऊर्जा-खाद्य संबंध, नदी की प्रवाह शामिल हैं। कॉन्क्लेव के दौरान की प्रस्तुतियों और चर्चाओं से उम्मीद है कि वे जल क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की बेहतर जानकारी पैदा करने, विज्ञान/प्रौद्योगिकी की वर्तमान स्थिति समझने, कमियों और आगे के अनुसंधान और विकास के अवसरों की पहचानने में मदद करेंगे।
रुड़की को जल क्षेत्र में शोध के लिए जाना जाता है। आईआईटी रुड़की और एनआईएच रुड़की भारत और विदेशों के विभिन्न समूहों के साथ नेटवर्क तैयार कर इन शोध कार्यों के बेहतर उपयोग की योजना बना रहे हैं। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर जल और संबद्ध क्षेत्रों के सामने आनेवाली चुनौतियों के स्थायी समाधान खोजने के लिए काम करने की भी योजना है।
आरडब्ल्यूसी का एक खास आकर्षण नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के विभिन्न कार्यों पर आयोजित एक प्रदर्शनी होगा। इस दौरान श्री राजीव रंजन, महानिदेशक, एनएमसीजी, भारत सरकार नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत किए गए कार्यों और अन्य योजनाओं पर को लेकर कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
आरडब्ल्यूसी के आयोजन स्थल पर एनएमसीजी आरडब्ल्यूसी के तुरंत बाद अर्थात 29 फरवरी और 1 मार्च, 2020 को स्कूली छात्रों के लिए दो दिनों के एक बहुत बड़े प्रदर्शनी का आयोजन करेगा। स्कूल के छात्रों के लिए आयोजित की जाने वाली यह प्रदर्शनी भविष्य के इंजीनियरों और प्रबंधकों को भारत सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम के प्रति ज्ञान और समझ को बढ़ाएगी।
मीडिया से बातचित के दौरान एनआईएच रुड़की के निदेशक डॉ. शरद के. जैन ने कहा, “वैश्विक स्तर पर, जलवायु परिवर्तन को एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में लिया जाता है क्योंकि इसका मानव जाति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आज हम जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव पर बात करने के लिए एकत्र हुए हैं। मुख्य चुनौतियों और जोखिम से संबंधित विचार-विमर्श करने के दौरान अनुकूलन रणनीतियों पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है। यह कार्यक्रम तर्कसंगत विचारों के आदान-प्रदान के साथ ही शोधकर्ताओं को जल संसाधन नियोजन, डिजाइन और प्रबंधन से संबंधित उन्नत तरीकों से परिचित कराने के लिए एक मंच का काम करेगा।”
हाइड्रोलॉजिकल इंस्ट्रूमेंटेशन से संबद्ध कुछ प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां अपने उत्पादों और सेवाओं को कॉन्क्लेव में प्रदर्शित करेंगी।
भारत और विदेश के शिक्षाविद और शोधकर्ता , नीति निर्माता, इस क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति और गैर-सरकारी संगठन, छात्र और अन्य हितधारक बड़ी संख्या में इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
मीडिया को जानकारी देते हुए, आईआईटी रुड़की के निदेशक, अजीत के. चतुर्वेदी ने कहा कि संस्थान एन आई एच की साझेदारी में रुड़की वाटर कॉन्क्लेव 2020 के आयोजन से काफी खुश है। उन्होंने आगे बताया कि इस 3-दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, देश और दुनिया में बड़े पैमाने पर होने वाली कुछ प्रमुख समस्याओं की पहचान की जाएगी और जलवायु परिवर्तन के कारण जल संसाधन के सामने आने वाली चुनौतियों पर बहस और संभावित समाधान पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने कॉन्क्लेव के परिणामों के प्रति आशा व्यक्त करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि यह कार्यक्रम कई उपयोगी अनुसंशाओं और मुद्दों पर केंद्रित अनुसंधान और सहयोग के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेगा
आइडिया फ़ॉर न्यूज़ के लिए रुड़की से अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट।