एम्स ऋषिकेश के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला

 

एम्स ऋषिकेश के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में पल्मोनरी फंक्शन टेस्टिंग विषय व्याख्यान के माध्यम से व्यापक चर्चा की गई।

यूथ-20 परामर्श इवेंट के तहत आयोजित कार्यशाला में बताया गया कि मौजूदा समय में पल्मोनरी डिसीज और इसके निदान में विभिन्न स्तर पर शोध हो रहे हैं। इन शोधों के आधार पर अब पल्मो से संबन्धित इलाज की नई-नई आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर बीमारी का सरलता से निदान किया जा सकता है। इससे पूर्व संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉक्टर मीनू सिंह, डीन एकेडेमिक्स प्रो. जया चतुर्वेदी, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के हेड प्रो. गिरीश सिंधवानी और आयोजन सचिव डाॅ. रूचि दुआ ने संयुक्तरूप से दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया ।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने नवजात शिशुओं और छोटी उम्र के बच्चों में पल्मोनरी फंक्शन टेस्टिंग विधि के अनुपयोग के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की बीमारियों में इसके उपयोग पर अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट अथवा लंग फंक्शन टेस्ट से फेफड़ों की कार्यक्षमता का आसानी से पता लगाया जा सकता है। लेकिन कुछ मामलों में उन्होंने इस टेस्ट से बचने की सलाह भी दी।

उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह बाल चिकित्सा पल्मोनोलॉजिस्ट हैं और उन्होंने इस क्षेत्र में कई शोध किए हैं।

डीन एकेडेमिक्स प्रो. जया चतुर्वेदी ने प्रतिभागियों का मनोबल बढ़ाते हुए आह्वान किया कि मेडिकल के क्षेत्र में अपनाई जाने वाली प्रत्येक तकनीक का उपयोग करने से पहले उसका विस्तृत अध्ययन कर लेना चाहिए। कार्यक्रम में पल्मोनोलॉजी के क्षेत्र में दुनियाभर में ख्याति प्राप्त प्रमुख वक्ताओं सीओपीडी और आब्सट्रक्टिव एयरवे डिजीज के प्रबंधक प्रमुख डॉ. संदीप साल्वी, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग सीएमसी वेल्लोर के विभागाध्यक्ष और प्रमुख शोधकर्ता प्रो. बालामुगेश, पल्मोकेयर फाउंडेशन की डाॅ. दिशा, डाॅ. संजय सिंघल, डॉ. मनदीप कौर, एम्स ऋषिकेश जनरल मेडिसिन विभाग की एचओडी प्रो. मीनाक्षी धर, आयोजन समिति के अध्यक्ष व पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश सिंधवानी, आयोजन सचिव डाॅ. रूचि दुआ, डाॅ. मयंक मिश्रा, डाॅ. प्रखर शर्मा, डाॅ. लोकेश सैनी और जनरल मेडिसिन विभाग के प्रो. रविकान्त ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।

कार्यशाला में स्पिरोमेट्री, डीएलसीओ और बॉडी प्लेथिस्मोग्राफी जैसे पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर व्यापक चर्चा की गई। साथ ही सीपीईटी और लंग ऑसिलोमेट्री जैसी नवीनतम तकनीकों के आधार पर प्रतिभागियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। कार्यशाला में भारत के विभिन्न राज्यों के 50 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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