नींद का हमारे शरीर के लिए संतुलित व्यवहार होता है – एम्स !

नींद का हमारे शरीर के लिए संतुलित व्यवहार होता है – एम्स !

नींद का हमारे शरीर के संतुलित व्यवहार और देखरेख के लिए अत्यधिक महत्व है। हालांकि यह एक रहस्य ही है कि नींद क्यों, कैसे और कहां से संचालित होती है और किस प्रकार उपरोक्त कार्य को निष्पादित करती है, मगर काफी हद तक इसमें मस्तिष्क के कुछ अहम हिस्सों जैसे हाइपोथालामस, पीनियल ग्रंथि और रेटिकूलर एक्टिवेटिंग सिस्टम और उनसे निकलने वाले न्यूरो केमिकल मैसेंजेर का जटिल सूचना तंत्र संलग्न है, लिहाजा जाहिर सी बात है कि न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से नींद का गहरा संबंध है, जो कि दोतरफा है यानि कि एक तरफ जहां न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में नींद प्रभावित होती है वहीं दूसरी ओर नींद की गड़बड़ी कई न्यूरोलॉजिकल बीमारियों को या तो जन्म देती है या उनकी गंभीरता को कई गुना बढ़ा देती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी के निर्देशन में संबंधित बीमारियों से मरीजों को निजात दिलाने के लिए उपचार एवं शोधकार्य जारी है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने न्यूरोलॉजी विभाग एवं निद्रा रोग प्रभाग द्वारा इस दिशा में किए जा रहे कार्यों की सराहना की और उम्मीद जताई कि निद्रा रोग प्रभाग आने वाले वर्षों में उत्तराखंड एवं आसपास के राज्यों के निद्रा रोग से ग्रसित मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगा। आइए कुछ महत्वपूर्ण न्यूरोलॉजिकल रोगों से नींद के संबध को बिंदुवार एक-एक कर समझते हैं। एम्स ऋषिकेश के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष एवं निद्रा रोग प्रभाग के सदस्य डा. नीरज कुमार जी के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत स्ट्रोक के मरीज नींद की समस्या से ग्रसित होते हैं. इतनी बड़ी संख्या क्यों? मोटापा, खून में वसा की मात्रा, निष्क्रिय दिनचर्या, धुम्रपान यह सब जिस प्रकार से धमनियों की बीमारियों को बढ़ाते हैं, वैसे ही ओब्सट्रकटिव स्लीप एपनिया की संभावना को भी बढ़ा देते हैं। करीब 20 फीसदी स्ट्रोक के मरीजों को शिकायत होती है कि उन्हें नींद का नहीं आने, नींद के जल्दी टूट जाने या दिन में भी सुस्ती आने आदि समस्याएं हैं।

सर दर्द – सर दर्द खासकर माइग्रेन का नींद से गहरा सम्बन्ध है। तेज सर दर्द के वक्त नींद नहीं आती और अक्सर नींद पूरी नहीं होने पर सर दर्द कईगुना
नसों और मांसपेशियों के मरीजों में फेफड़ों की शक्ति भी क्षीण हो जाती है। अक्सर यह मरीज नींद के दौरान जबकि श्वसन की सहायक मांसपेशियां शिथिल हो जाती है, ऐसे में वह अपने शरीर में ऑक्सीजन की सही मात्रा बनाए रखने में विफल होते हैं. कईबार इस अवस्था में मरीजों की मौत भी हो जाती है, पर अगर समय से इनकी पहचान हो जाए और सी-पैप जैसी साधारण मशीन जो कि सांस अंदर खींचने में मदद करती है, का प्रयोग किया जाए तो ऐसी अप्रिय घटनाओं को टाला जा सकता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि नींद न सिर्फ खूबसूरत सपनों के लिए आवश्यक हैं बल्कि शरीर को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए भी उतनी ही जरुरी क्रिया है। न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए तो न सिर्फ रोग की गंभीरता को रोकने के लिए बल्कि नए रोगों को उत्पन्न होने से रोकने व उनसे बचने के लिए साफ सुथरी, स्वस्थ निद्रा की और भी अधिक आवश्यक है।
आईडिया फॉर न्यूज़ के लिए देहरादून से अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट।

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