आईआईटी रुड़की को मिलेगा साइबर-फिजिकल सिस्टम्स में टेक्नोलॉजी हब
आईआईटी रुड़की को मिलेगा साइबर-फिजिकल सिस्टम्स में टेक्नोलॉजी हब
-टेक्नोलॉजी हब के निर्माण के लिए आईआईटी रुड़की को मिला 135 करोड़ का अनुदान
-यह हब नेशनल मिशन ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के तहत स्थापित किया जाएगा।
रुड़की, 21st सितंबर 2020: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की को शीघ्र ही नेशनल मिशन ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के तहत एक टेक्नोलॉजी हब प्राप्त होगा। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान कर स्थापित किए जा रहे 25 केंद्रों में से एक है। ‘आईहब’ नाम का यह केन्द्र 356 मूलभूत प्रौद्योगिकियों के लिए वन-स्टॉप साॅल्यूशन का काम करेगा। अगले पाँच वर्षों के लिए मंजूर 135 करोड़ रुपये में से 7.25 करोड़ रुपया पहले ही जारी किया जा चुका है।
हब सात एप्लिकेशन डोमेन-हेल्थ रिसर्च, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी, टेलिकम्यूनिकेशन और एटॉमिक एनर्जी में “डिवाइस टेक्नोलॉजी एंड मटीरियल” प्रोजेक्ट्स पर फोकस करेगा।
आईआईटी रुड़की के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. सुदेब दासगुप्ता ने कहा, “साइबर-फिजिकल सिस्टम उन्नत तकनीकों का समावेशन है, जो उद्योग-4.0 की चुनौतियों के समाधान के लिए काम करेगा। यह नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र का भी निर्माण करेगा। यह पहल हमें एक नए भारत के निर्माण का अवसर प्रदान करेगी।”
हब स्टार्ट-अप के ग्रोथ में सहयोग के साथ ही उत्पादों, प्रकाशनों, बौद्धिक संपदाओं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसी सुविधाएं भी प्रदान करेगा। यह रोजगार के कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसरों को पैदा करेगा। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए यह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ जापान, कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, मलेशिया, सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गनाइजेशन, चंडीगढ़ जैसे संस्थानों के साथ-साथ राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और औद्योगिक भागीदारी की संभावनाओं का पता लगाने का काम भी करेगा।
“हब की परिकल्पना साइबर-फिजिकल सिस्टम्स और संबद्ध तकनीकों के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में की गई है। इस कदम से ज्ञान साझा करने और सहयोग करने, कार्यबल के कौशल विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मदद मिलेगी” मनीष श्रीखंडे, डीन, एसआरआईसी, आईआईटी रुड़की ने कहा।
इस हब के तहत आईआईटी रुड़की विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक और औद्योगिक भागीदारों के साथ मिलकर सीपीएस से संबंधित कई उत्पादों को विकसित करने का काम करेगा। इनमें आईआईटी कानपुर और मैकगिल विश्वविद्यालय कनाडा के साथ मिलकर एक एआई-संचालित बहुउद्देशीय इंटेलीजेंट सिक्योरिटी और निगरानी प्रणाली, प्रोफिसिएंट डिज़ाइन एलएलसी, यूएसए के साथ मिलकर एक सुरक्षित एआई प्रोसेसर, आईआईटी गुवाहाटी, रित्सुमिकन विश्वविद्यालय, जापान, राष्ट्रीय चेंग कुंग विश्वविद्यालय, ताइवान और जोहान्स केप्लर विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रिया के सहयोग से प्रोटोटाइपिंग माइक्रोफ्लूडिक लैब-ऑन-चिप्स के लिए साइबर-फिजिकल प्लेटफॉर्म का विकास शामिल है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ, ब्रिटेन के सहयोग से क्लिनिकल और पर्यावरण नमूनों में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध का पता लगाने के लिए एक उन्नत मल्टीस्टेज डायग्नोस्टिक टूल के विकास का प्रस्ताव भी रखा गया है। सीडीएसी त्रिवेंद्रम, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, भेल और विक्टोरिया विश्वविद्यालय, कनाडा के साथ एक हैक-फ्री हाइड्रो प्लांट कंट्रोल सिस्टम विकसित किया जाना भी प्रस्तावित है।
पहाड़ी इलाकों में सीमा सुरक्षा के लिए मल्टी-एजेंट-बेस्ड निगरानी और परिवहन नेविगेशन प्रणाली तथा स्वास्थ्य के देखभाल के लिए एक बॉडी मूवमेंट-बेस्ड एनर्जी हारवेस्टर भी प्रस्तावित विकास लक्ष्यों में शामिल है।
भारत में सीपीएस प्रौद्योगिकी के प्रसार में तेजी लाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने एनएम-आईसीपीएस की स्थापना की है। एनएम-आईसीपीएस का उद्देश्य उक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत नींव और सहज पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। मिशन सीपीएस और संबंधित प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन, सीपीएस में कुशल कार्यबल तैयार करने, ट्रांसलेशनल अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और सीपीएस में उद्यमशीलता तथा स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में तेजी लाने पर केन्द्रित है। मिशन के तहत 18 टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच), 6 सेक्टोरल एप्लिकेशन हब (एसएएच) और 4 टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च पार्क (टीटीआरपी) के नेटवर्क की कल्पना की गई है।
Idea for news ke liye dehradun se amit singh negi ki report.