सफाई कर्मियों को ठेका प्रथा से मुक्ति दिला संविदा कर्मी बनाओ -मोर्चा

सफाई कर्मियों को ठेका प्रथा से मुक्ति दिला संविदा कर्मी बनाओ -मोर्चा!

Get the cleaning workers out of the contract system and make them contractual workers - Front 

#शासन/विभाग को नहीं है जानकारी इनकी संख्या व स्थिति की ! #सरकार को इनकी पीड़ा से नहीं है कोई सरोकार | #एक हजार की आबादी पर दो कर्मियों की है व्यवस्था वर्ष 2011 के आधार पर | #सफाई कर्मी ₹5-7 हजार में खफा रहे अपना जीवन | #इन कर्मियों के बीमा की भी नहीं है व्यवस्था | #सफाई कर्मियों को विशेष व्यवस्था के तहत मृत संवर्ग से बाहर करने की हो व्यवस्था | विकासनगर – पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश की नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों एवं नगर निगमों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य विभागों यथा अस्पताल,मेडिकल कॉलेज, शिक्षण संस्थानों आदि में वर्षों से कार्य कर रहे सफाई कर्मियों (पर्यावरण मित्र) में से अधिकांश ठेका प्रथा, दैनिक वेतन, मोहल्ला स्वच्छता समिति आदि के माध्यम से कार्य कर रहे हैं, जिनको बामुश्किल ₹5-7 हजार में गुजर बसर करनी पड़ती है | बड़े दुख की बात है कि सरकार द्वारा सफाई कर्मियों के पद को आउटसोर्स का पद विभागीय ढांचे में रखा गया है | नेगी ने कहा कि बड़े आश्चर्य की बात है की शासन व शहरी विकास निदेशालय तक को ये मालूम नहीं है कि इन पालिकाओं, नगर पंचायतों, निगमों में कितने सफाई कर्मी तैनात हैं तथा उनकी स्थिति क्या है यानी वे दैनिक, ठेका प्रथा, तदर्थ, संविदा, आउटसोर्स, मोहल्ला स्वच्छता समिति आदि किस श्रेणी के तहत कार्य कर रहे हैं | जब शासन/निदेशालय को इनकी संख्या व स्थिति तक की जानकारी नहीं है तो इनका भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकता है ! यहां तक कि इन कर्मियों के लिए न तो बीमा कवर की व्यवस्था है और न ही कोई अन्य व्यवस्था, जबकि ये कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना महामारी जैसी बीमारियों में भी अनवरत अपनी सेवा देते आ रहे हैं |प्रदेश की लगभग 90-95 नगर पालिका/ नगर पंचायत/ निगमों में शासनादेशानुसार वर्ष 2011 के आधार पर 1000 की आबादी पर दो सफाई कर्मी तैनात किए जाने की व्यवस्था है | नेगी ने कहा कि कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित सफाई कर्मियों को दैनिक वेतन, ठेका प्रथा आदि व्यवस्था से छुटकारा दिला कर संविदा के दायरे में लाना चाहिए, जिससे,एक विशेष व्यवस्था के तहत इनको मृत संवर्ग से बाहर कर भविष्य में इनके नियमितीकरण का रास्ता साफ हो सके | पत्रकार वार्ता में- विजय राम शर्मा, नरेंद्र तोमर व सुशील भारद्वाज थे|

Idea for news ke liye dehradun se it singh negi ki report.

Get the cleaning workers out of the contract system and make them contractual workers – Front #Government/Department is not aware of their number and status! #Government has no concern with their pain. # For a population of one thousand, there is a system of two workers on the basis of the year 2011. #Safai Karamcharis are happy with their life in ₹5-7 thousand. There is no arrangement for insurance of these workers. # Arrangements should be made to get the cleaning workers out of the dead cadre under special arrangements. Vikasnagar – Talking to reporters, Jan Sangharsh Morcha President and former GMVN Vice President Raghunath Singh Negi said that along with the municipalities, nagar panchayats and municipal corporations of the state, in other departments like hospitals, medical colleges, educational institutions etc. Most of the sanitation workers (environmental friends) working for years are working through contract system, daily wage, Mohalla Sanitation Committee etc., which barely have to survive in ₹ 5-7 thousand. It is a matter of great sadness that the post of Safai Karamcharis has been outsourced by the government in the departmental structure. Negi said that it is a matter of great surprise that even the Directorate of Government and Urban Development does not know how many sanitation workers are posted in these municipalities, nagar panchayats, corporations and what is their status i.e. they are daily, contractual, ad hoc, contractual. Under which category, outsource, Mohalla Sanitation Committee etc. are working. When the government / directorate does not even know about their number and condition, then how can their future be secure! Even for these workers there is neither a system of insurance cover nor any other arrangement, while these workers have been putting their lives at risk and giving their service even in diseases like corona epidemic. About 90-95 cities of the state According to the mandate in the Municipality / Nagar Panchayat / Corporations, on the basis of the year 2011, there is a provision to deploy two sweepers per 1000 population. Negi said that the cleaning workers who have been agitated for their demands for several days should be brought under contract by getting rid of the system of daily wages, contract practice etc., so that, under a special arrangement, they should be regularized in future by taking them out of the dead cadre to clear the way In the press conference – Vijay Ram Sharma, Narendra Tomar and Sushil Bhardwaj were there. Idea for news ke liye dehradun se it singh negi ki report.

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