दिल्ली- राहुल की ‘अचानक’ हुई वरुण गांधी से मुलाकात, सियासी गलियारे में लगने लगे कयास!
दिल्ली- राहुल की ‘अचानक’ हुई वरुण गांधी से मुलाकात, सियासी गलियारे में लगने लगे कयास!
दोनों की मुलाकात केदारनाथ धाम में हुई. राहुल वरुण की बेटी अनुसूइया से मिलकर बहुत खुश हुए. राहुल रविवार को तो वरुण मंगलवार को परिवार सहित केदारनाथ धाम पहुंचे थे.
केदारनाथ थाम में राहुल गांधी और वरुण गांधी की मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है. राहुल गांधी रविवार को यहां पहुंचे थे जबकि वरुण गांधी पत्नी व बेटी सहित मंगलवार को यहां आए. राहुल रवाना होने से पहले हैलीपैड की ओर बढ़ रहे थे जब कि उनकी नजर बीकेटीसी के वेटिंग रूप के बाहर खड़े वरुण गांधी पर पड़ी. इसके बाद उन्होंने वरुण से मुलाकात की. राहुल वरुण की बेटी अनुसूइया से मिलकर बहुत खुश हुए. दोनों चचेरे भाइयों की मुलाकात आम तौर पर होती नहीं है. लेकिन जब केदार धाम में इनकी मुलाकात हुई तो अटकलों का दौर तो शुरू होना ही था और ऐसा हुआ भी.
हम आपको आज बताने जा रहे हैं कि दोनों चचेरे भाइयों में इतनी दूरियां क्यों हैं. इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमें 70 और 80 के दशक तक जाना होगा. यह वह दौर था जब गांधी परिवार एक साझा घर में रहता था और दिल्ली के सफदरजंग में प्रधानमंत्री कार्यालय हुआ करता था. राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को हुआ था, जबकि वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च 1980 को हुआ था
रिश्तों में तनाव
1980 में संजय गांधी की मौत से पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन इसके बाद सब बदल गया. मेनका और इंदिरा के बीच मनमुटाव पैदा हो गया. दूरियां इतनी बड़ी कि 28 मार्च 1982 को मीडियाकर्मियों और पुलिस कर्मियों के सामने मेनका, वरुण गांधी के साथ प्रधानमंत्री आवास से निकल गईं.
क्या था मनुटाव की वजह
संजय को इंदिरा गांधी का राजनीतिक वारिस माना जाता था लेकिन उनकी अचानक हुई मौत के बाद राजीव गांधी को राजनीति में आना पड़ा और अब वह राजनीतिक विरासत के हकदार बन गए जो मेनका को रास नहीं आ रहा था.
मेनका और इंदिरा के बीच मनमुटाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब बहू ने अपने पति के अनुयायियों के साथ लखनऊ में एक बैठक में भाग लिया और ‘जोरदार भाषण’ दिया. उस समय इंदिरा गांधी लंदन में थीं. कहा जाता है कि मेनका को इंदिरा यह हिदायत देकर भी गई थी कि बैठक में भाग नहीं लेना है लेकिन मेनका ने उनकी नहीं सुनी. इंदिरा को जब मेनका के कार्यक्रम में जाने का पता चला तो वह आग बबूला हो गईं. सभा में भाषण देने के बाद मेनका वापस दिल्ली के सफदरजंग स्थित घर पहुंची. इसी घर में पूरा परिवार रहता था और यहीं 13 मार्च 1980 को वरुण गांधी का जन्म हुआ था.
इंदिरा ने मेनका से घर से चले जाने को कहा
स्पैनिश लेखक जेवियर मोरो ने अपनी किताब ‘द रेड साड़ी’ में इस घटनाक्रम के बारे में विस्तार ले लिखा है. 28 मार्च, 1982 की सुबह, इंदिरा और मेनका का आमना-सामना हुआ. मेनका ने इंदिरा से अभिवादन किया. जवाब में इंदिरा ने कहा हम बाद में बात करेंगे. इसके बाद मेनका ने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया.
कुछ समय बाद एक नौकर उसके पास भोजन से भरी एक ट्रे लेकर आया. यह पूछे जाने पर कि वह इसे कमरे में क्यों लाया, उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘गांधी (इंदिरा) ने मुझसे यह बताने के लिए कहा कि वह नहीं चाहतीं कि आप दोपहर के भोजन के लिए परिवार के बाकी लोगों के साथ शामिल हों.’ एक घंटे बाद वह वापस आया और कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें बुलाया है.
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट।