G 20 समिट -में पुतिन-जिनपिंग के दिल्ली नहीं आने पर जयशंकर की दो टूक, कही बड़ी बात!
G 20 समिट -में पुतिन-जिनपिंग के दिल्ली नहीं आने पर जयशंकर की दो टूक, कही बड़ी बात!
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने साफ कर दिया है कि क्या जी20 समिट (G20 Summit) में व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ना आने से कोई फर्क पड़ेगा या नहीं.
जी20 समिट में रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) और चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के शामिल नहीं होने पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा कि मुझे लगता है कि G20 में अलग-अलग वक्त पर कुछ ऐसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने किसी कारण से नहीं आने का फैसला किया है. लेकिन उस मौके पर जो भी उस देश का प्रतिनिधि होता है, वह अपने देश और उसकी स्थिति को सामने रखता है. मेरा मानना है कि हर कोई बहुत गंभीरता के साथ जी20 में आ रहा है.
G20 समिट में क्या होगी चर्चा?
एस. जयशंकर ने कहा कि सब कुछ तैयार हो रहा है. वार्ताकार बातचीत कर रहे हैं, और जो लोग व्यवस्थाएं ठीक कराने का प्रयास कर रहे हैं. वे इस पर काम कर रहे हैं. यह वास्तव में हमारे लिए बहुत ही केंद्रित समय है. मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को यह पता चले कि क्या हो रहा है और अभी जी20 के बारे में मेरा मानना है कि इसमें बहुत सारे मुद्दे हैं. कुछ दीर्घकालिक संरचनात्मक मुद्दे हैं, और कुछ अधिक उभरने वाले हैं. ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर दुनिया गौर कर रही है और इसका बोझ ग्लोबल साउथ और विकासशील देशों पर है. हमारे लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश ग्लोबल साउथ पर ध्यान केंद्रित करना है. लेकिन इसका एक बड़ा संदर्भ भी है. संदर्भ बहुत अशांत वैश्विक वातावरण, कोविड का प्रभाव, यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव, ऋण जैसे मुद्दे जो कुछ समय से चल रहे हैं और जलवायु व्यवधान जो आज अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहे हैं, उसका है.
विपक्ष को जयशंकर का जवाब
वहीं, G20 समिट के लिए सरकार की तरफ से किए गए इंतजाम की विपक्ष की ओर से आलोचना पर एस. जयशंकर ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि वे लुटियंस दिल्ली या विज्ञान भवन में अधिक सुविधाजनक महसूस कर रहे थे तो यह उनका विशेषाधिकार था. वही उनकी दुनिया थी और तब शिखर सम्मेलन की बैठकें ऐसे वक्त हुईं जहां देश का प्रभाव संभवतः विज्ञान भवन में या उसके 2 किलोमीटर (लुटियंस दिल्ली) तक में रहा हो. यह एक अलग युग है, यह अलग सरकार है और यह एक अलग विचार प्रक्रिया है. प्रधानमंत्री ने महसूस किया और हमने उस दिशा में काम किया है, जिसमें G-20 ऐसी चीज है जिसे एक राष्ट्रीय प्रयास के रूप में माना जाना चाहिए. जिन लोगों को लगता है कि हमें अभी भी 1983 में फंसे रहना चाहिए उनका 1983 में फंसे रहने का स्वागत है.
कॉपी पेस्ट विद थैंक्स
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट.