चारधाम यात्रा 9 मई को केदारनाथ और 10 मई को सुरु!
देवभूमि उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई हैं। यात्रा का आगाज माँ गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ हो गया है.इसके बाद अब 9 मई को केदारनाथ और 10 मई को विश्विख्यात बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जांयेंगे जिसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.आखिर क्या हैं सूबे की इस चारधाम यात्रा का महत्व आइए इस रिपोर्ट में देखते हैं…….
आज हम देवभूमि में आने वाले श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा से जुड़ी वो तमाम जानकारियां उपलब्ध कराने जा रहे है। ताकि,चारधाम पहुचने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। चारधाम का पहला पड़ाव यमुनोत्री धाम है। जहां पहाड़ी शैली से बना मनमोहक यमुना जी का मंदिर है और मंदिर के पास बने तप्त कुंड में स्नान के बाद ही श्रद्धालु माँ यमुना जी के दर्शन कर पुण्य प्राप्त करते। इसके बाद चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव माँ गंगोत्री धाम को माना जाता है। जहां तमाम श्रद्धालु, गंगा माता की पूजा करने पहुचते हैं। चारधाम का तीसरा पड़ाव द्वादर्श ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ का धाम है। भोले के इस पावन धाम में बड़ी तादाद में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं। और चारधाम का चौथा पड़ाव बदरीनाथ है। जिसे इस भू-लोक का एक सो आठवा बैकुंठ धाम भी कहा जाता है। जहा भगवान विष्णु की पूजा की जाती है ! भगवान विष्णु का पवित्र स्थल बदरीनाथ धाम चमोली जिले में स्थित है। भोले बाबा का पवित्र धाम केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। जीवनदायिनी माँ गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री और माँ यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री दोनों उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं। माना जाता हैं इन चार धामों की यात्रा करने वाले सभी श्रद्धालुओ के समस्त पाप मिट जाते हैं और भक्तों को जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।
बाइट – डॉ. संतोष खंडूरी, धर्माचार्य
वीओं-
आज लाखो श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए देवभूमि पहुंचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं। कि आखिर यह चारधाम यात्रा पहली बार कब शुरू हुई। माना जाता है कि 8वीं सदी में आदिजगत गुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ की खोज की थी। उन्होंने ही धार्मिक महत्व के इस स्थान को दोबारा बनाया था। मान्यता है कि भगवान बदरी विशाल की मूर्ति यहां तप्त कुंड के पास एक गुफा में थी और 16वीं सदी में गढ़वाल के एक राजा ने इसे मौजूदा मंदिर में रखा था। जबकि केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। दरअसल 1950 के दशक में यहां धार्मिक पर्यटन के लिहाज से आवाजाही बढ़ी। और 1962 के चीन युद्ध के चलते क्षेत्र में परिवहन की व्यवस्था में सुधार हुआ तो चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ने लगी। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी तैयारिया पूरी कर ली हैं।
–विसुअल–
वीओं-
स्कंद पुराण में गढ़वाल को केदारखंड कहा गया है केदारनाथ का वर्णन महाभारत में भी है। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के यहां पूजा करने की बातें सामने आती हैं। माना जाता है कि 8वीं सदी में आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने मौजूदा मंदिर को बनवाया था। बद्रीनाथ मंदिर के बारे में भी स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में वर्णन मिलता है। बदरीनाथ मंदिर के वैदिक काल (1750-500 ईसा पूर्व) में भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में वर्णन मिलता है। गंगा को धरती पर लाने का श्रेय पुराणों के अनुसार राजा भगीरथ को जाता है। गोरखा लोग नेपालीयो ने 1790 से 1815 तक कुमाऊं मण्डल पर राज किया था, इसी दौरान गंगोत्री मंदिर गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने बनाया था। उधर यमुनोत्री के असली मंदिर को जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में बनवाया था। हालांकि कुछ दस्तावेज इस ओर भी इशारा करते हैं कि पुराने मंदिर को टिहरी के महाराज प्रताप शाह ने बनवाया था। मौसम की मार के कारण पुराने मंदिर के टूटने पर मौजूदा मंदिर का निर्माण किया गया है।
बाइट – मोहन प्रसाद थपलियाल, अध्यक्ष, बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति
वीओ –
साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद सरकार ने चारधाम यात्रियों के लिए बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू की थी. ऋषिकेश में सभी यात्रियों का बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके साथ ही यात्रियों को एक कार्ड भी दिया जाता है. जिसमें जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगी होती है. ताकि अगर यात्रा के दौरान कोई अप्रिय घटना हो जाए तो यात्री को ट्रैक किया जा सके. इसके अलावा रजिस्ट्रेशन व्यवस्था से चारधाम यात्रा के लिए आने वाली यात्रियों की संख्या का भी पता चल जाता है.चारधाम यात्रा की तैयारियों की जानकारी देते हुए सीएम सचिव अमित नेगी ने बताया कि अपने स्तर पर सभी विभाग चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुटे है. वहीं, स्थानीय प्रशासन भी अपने-अपने स्तर पर तैयारियां कर रहा है…हमारा पूरा प्रयास है कि चारधाम यात्रा सुचारू रूप से संपन्न हो. अमित नेगी ने बताया कि मौसम को देखते हुए विभागों को निर्देशित किया गया है. इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र में हुई बर्फबारी से बंद मार्गों को भी खोला जा रहा है और तमाम व्यवस्थाएं बनाई जा रही है !
बाइट- त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड
बाइट- अमित नेगी, सचिव मुख्यमंत्री
फाइनल वीओ –
सनातन धर्म में चारधाम यात्रा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति चारधाम यात्रा पूरी कर लेता है उसके सभी पाप मिट जाते हैं। और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। और उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले यात्रा सीजन की तुलना में इस बार भरी संख्या में श्रद्धालु चारधाम की यात्रा करने पहुंचेंगे। ऐसे अब देखना दिलचप्स होगा की सरकारी तंत्र चारधाम यात्रायो के जरिये सुखद यात्रा का सन्देश देने में कितना कामियाब हो पाती है।
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट/
मात्र सदन से बाबा का खनन खेल!
मात्र सदन से बाबा का खनन खेल उत्तराखण्ड में चल रहा है /खनन का खेल कोई नया नहीं है इस को लेकर लगातार कई बाबा अपनी जान भी गवा चुके है लेकिन सरकार कुछ अधिकारियो के भरोसे इस खेल को ख़तम करने की कोशिश तो करना चाहती है इस लिए जो सरकार ने पट्टा दिया है जिस से सरकार को राजस्व प्राप्त हो सके / आज देहरादून के प्रेस क्लब में एक महिला ने मात्र सदन के एक बाबा पर आरोप लगया है की यह सब उन के इशारे पर चल रहा है और खनन को रुकवाने की कोशिश की जा रही है जिस से सरकार को करोड़ो का नुकशान हो रहा है /महिला का कहना है अगर कोई इस बिच आता है तो न तो सुनवाई होती है न किसी प्रकार का उन पर असर होता है इस महिला ने इस बात से निडर हो कर बाबा पर आरोप और जाच की मांग की है / साथ ही उन पर कार्यवाही करने को सरकार और उन के मंत्रियो से मांग की है / अब देखना होगा की इस महिला का सरकार पर क्या असर होता है या फिर पहले की तरह इस बार भी जाच ठन्डे बसते में जा गिरती है/
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए उत्तराखण्ड की राजधानी से साथ अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट/