खेलो के नाम पर खिलाडियों को ठग रही सरकार !

खेलो के नाम पर खिलाडियों को ठग रही उत्तराखण्ड सरकार !

उत्तराखण्ड मैं फुटबाल का भविष्य उज्ज्वल होता हुआ पर अभी दुस्वरिया बाकि है!
उत्तराखण्ड बने 16 साल हो गये उत्तराखण्ड को रूलर राज्य के नाम से जाना जाता है क्योकि यहा का पहाडी जीवन बडा कठिनाईयों का है कुछ ही जिले है जो भौगोलिक दृष्टिी से थोडा ठीक है उत्तराखण्ड में पुर्व से ही सबसे सस्ता और हर मौसम में खेलने वाला खेल फुटबाल है लेकिन उसको आज तक कितनी भी सरकारे आयी इस खेल को प्रेात्साहित करने के लिय कोई भी उचित कार्य नही किये गये उसके उपरान्त कई प्रतिभायें बालक और बालिकायें अपना लोहा मनवा रही है और नेशनल और इंटरनेशनल पर उत्तराखण्ड का नाम समस्त भारत और विश्व स्तर पर एक नई पहचान दिला रही है।
2011 में उत्तराखण्ड का राज्य खेल भारतीय जनता पार्टी के द्वारा धोषित कराया गया था उस संर्धष में सबसे बढा योगदान वीरेन्द्र सिंह रावत, जोगेन्द्र पुन्डीर, त्ेाजपाल सिंह रावत का रहा जिसने फुटबाल को राज्य खेल धोषित होने पर आन्दोलन किया क्योकि 80 प्रतिशत उत्तराखण्ड में हर जगह फुटबाल खेला जाता है।
लेकिन उत्तराखण्ड में फुटबाल गंदी राजनिति का शिकार हो गया। क्योकि सरकार ने उत्तराखण्ड फुटबाल संध पर कोई कार्यवाही और दिशनिर्दश नही दिये जो फुटबाल संध उत्तराखण्ड राज्य,राज्य बनने से आज तक फुटबाल के छेत्र में कोई विकास नही हुआ
इस के बावजूद वीरेन्द्र सिंह रावत जो राज्य कोच और क्लास वन रेफरी है ने फुटबाल के विकास के लिये अपना तन मन धन ,नौकरी ,जमीन सब कुछ समर्पित कर दिया ।37 साल फुटबाल खेलने के उपरान्त वीरेन्द्र सिंह रावत 2011 में जब फुटबाल राज्य खेल धोषित हुआ था उत्तराखण्ड फुटबाल रेफरी एसोसियेशन का गठन सोसियटी एक्ट 1860 में किया क्यो किया घ्
वीरेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड फुटबाल संध के साथ 11 साल अपना तन मन धन लगा दिया और तम्मना थी कि एक दिन अंतराष्र्टृीय स्तर का कोच या रेफरी बनुं लेकिन फुटबाल संध के सचिव अख्तर अली ने नही भेजा क्योकि वो अपना गुलाम बनाना चहाता था फिर हीम्मत हार कर वीरेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड फुटबाल रेफरी एसोसियेशन का गठन किया और अपने कार्य पर लग गया और निशुल्क प्रचार प्रसार करने लगा और फ्री कोचिंग एंव रेफरीशिप सिखाने लगा और वर्ष 2012 में देहरादून फुटबाल एकेडमी की स्थापना कि जिसमें 6 साल से 19 साल के बालक बालिकाओं को प्रशिक्षण निशुल्क देने लगा और उनके इस योगदान में उमेश पुन्डीर, प्रवीन रावत, सुुरेन्द्र प्याल, तरूण नेगी, मित्रानंन्द नौटियाल अमित टंम्टा, प्रदीप नेगी, अमन जखमोला ,मोनिका बिष्ट, अनिता रावत, ज्योति गढीवाल, अंजलि नेगी, शिल्पा नेगी,अनिता शर्मा, संजय नेगी ,बीरेन्द्र नेगी आदि खिलाडीयों ,कोचो ने सहयोग प्रदान करना शुरू किया जब फुटबाल का स्तर गिरा हुआ था तो एक संजीविनी बुटी की तरह वीरेन्द्र सिंह रावत ने काम किया इस कार्य को करने के लिये सर्वप्रथम द दून स्कूल में एकाउन्ट ओफिसर की नौकरी छोडी वर्ष 2012 में क्योकि फुटबाल के विकास में बाधा आ रही थी नौकरी 24 साल की नौकरी को त्याग दिया और सब कुछ गाव दिया इस के बावजूद स्कूलों ने भी 2011 से अपने स्कूलों में फुटबाल प्रतियोगिता करानी शुरू की और कई क्लबो द्वारा फुटबाल प्रतियोगिता के लिय जागरूक किया ,उत्तराखण्ड सुपर लीग 2016 का विशाल आयोजन करना उसके कंस्पट को तैयार किया गया वीरेन्द्र सिंह रावत द्वारा यह प्रतियोगिता संपुर्ण विश्व में विख्यात हुई। आपको अवगत करा दे 2011 से आज तक पुरे उत्तराखण्ड में प्रत्येक वर्ष
देहरादून से आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट/

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