अपनों के राज में बुज़ुर्गों की उम्मीद ख़तम सी होने लगी है! 

अपनों के राज में बुज़ुर्गों की उम्मीद ख़तम सी होने लगी है!

उत्तराखंड  में उम्मीद थीं कि अपनों के राज में वे समस्याएं हल हो जाएंगी, जिनके लिए अविभाजित उत्त्र प्रदेश में एड़ियां रगड़नी पड़ती थीं। अलग प्रदेश के रूप में 19 वर्ष बीतने  के बाद भी लेकिन ये उम्मीदें अब ख़तम सी होने लगी है । इसका एक प्रमुख कारण है सिस्टम की संवेदनहीनता। आलम यह है कि जिस प्रदेश में नौकरशाही को लेकर सरकार के मंत्री तक परेशान
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हो, वहां आम आदमी की सुनवाई कैसे होगी समझा जा सकता है। सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, हर दौर में नौकरशाही के रवैये पर सवाल उठते रहते है। विधायक से लेकर मंत्री तक यह कहते सुने जा सकते हैं कि अफसर उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। ऐसा ही एक प्रकरण हैं सेवानिवृत्त  कर्मियों की पेंशन में संशोधन का। दरअसल जो लोग एक जनवरी 2016 से पहले रिटायर हो चुके है, उनकी पेंशन सातवें वेतनमान के अनुरूप संशोधित होनी है। प्रदेश में ऐसे लोगों की संख्या करीब एक लाख है।इनको एक जनवरी 2016 से बड़ी हुईं पेंशन मिलनी है। इसके तहत नवंबर 2018 से संशोधित पेंशन का एरियर दीया जाना है। हालत यह है कि एरियर की छोड़िये, अभी 35 फीसद कर्मिकों की सातवे वेतनमान के अनुसार संशोधित तक नहीं कि जा सकी है।इनमें से कई लोग उम्र के अंतिम पायदान पर पहुच चुके हैं और बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने में भी असमर्थ हैं। अब जरा सिस्टम की बात करते हैं।आलम यह है कि इस मामले की ज़िम्मेदारी न तो सम्बन्धित विभाग ही लेने को तैयार है और न ही कोषागार कार्यालय। इन बुज़ुर्गों का कहना है कि जब वे अपने विभाग में जाते हैं, वहा से उनको जवाब मिलता है कि फ़ाइल कोषागार को भेज दी गई हैं। वही कोषागार में कहा जा रहा है कि अपने विभाग से संपर्क करो। यह हाल तब तक है जबकि पेंशन संशोधन के संबध में जारी शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख की पेंशन पुनरीक्षण की करवाई के लिए पेंशनरों से किसी प्रकार संपर्क नही किया जाएगा। यदि उन्हें परेशान नही किया जाएगा। साफ है कि अफसरों को शाशनदेश की भी परवाह नही है। सवाल यह भी है सिस्टम की खामियों का दंश रिटायर्ड कर्मचारियों को क्यो झेलना पड़ रहा है। एक ओर बुज़ुर्गो को लेकर सरकारें संवेदनशील है। तमाम कानून बनाकर बुज़ुर्गो को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा दी जा रही है। वही सिस्टम उनको लेकर असंवेदनशील बना हुआ है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही सरकार इस दिशा मे कदम उठाएगी।
आइडिया फॉर न्यूज़  के लिए देहरादून से अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट

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