उत्तरखण्ड-गैर संचारी (एनसीडी) रोगों को नियंत्रित करने के लिए फैमिली फिजिशियन की भूमिका अहम !
उत्तरखण्ड-गैर संचारी (एनसीडी) रोगों को नियंत्रित करने के लिए फैमिली फिजिशियन की भूमिका अहम !
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग और एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया (एएफपीआई) के संयुक्त तत्वावधान में गैर संचारी रोगों से जुड़े महत्वपूर्ण विषय पर सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया । जिसमें विशेषज्ञों ने समाज में नॉन कम्युनिकेबिल डिजीज (गैर संचार रोगों) के बढ़ते मामलों पर चिंतन किया। कहा गया कि गैर-संचारी रोगों ने मानव वर्ग को इस तरह प्रभावित कर दिया है कि हर पांचवां व्यक्ति हाई ब्लडप्रेशर, शुगर आदि डिजीज से ग्रसित है।
एम्स संस्थान परिसर में आयोजित सीएमई का दीप प्रज्ज्वलित का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एम्स कार्यकारी निदेशक और सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने सीएमई की थीम पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते मामलों से सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए फैमिली फिजिशियन की भूमिका अहम हो गई है।
एएफपीआई के अध्यक्ष डॉ. रमन कुमार ने कहा कि एनसीडी के क्षेत्र में फैमिली फिजिशियन और प्राइमरी केयर का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लिहाजा एनसीडी के बढ़ते मामलों पर समय रहते गौर किए जाने से इन बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है।
सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने सीएमई के लक्ष्य और उद्देश्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एनसीडी से जुड़े रोगों के नुकसान को कम किया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए प्राथमिक चिकित्सा व फैमिली फिजिशियन के द्वारा प्रमुख एनसीडी रोगों को नियंत्रित करने के लिए बुनियादी ढांचे की मजबूती पर जोर दिया।
देहरादून के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संजय जैन ने कहा कि समुदाय में एनसीडी के मामलों की निगरानी और देखभाल को लागू करने के लिए प्रशासनिक चुनौतियों और मुद्दों का पता लगाकर उन पर कार्य करना अनिवार्य हो गया है।
सीएफएम विभाग के अपर आचार्य डॉ. संतोष कुमार का मानना है कि जनसमुदाय में गैर-संचारी रोगों का जोखिम उम्र बढ़ने, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आहार का सेवन, शारीरिक श्रम की कमी, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा अधिक वजन आदि कारणों से बढ़ रहे हैं। लिहाजा गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते वैश्विक बोझ से निपटने के लिए नवीन रणनीतियों का पता लगाने एवं एक स्वस्थ समाज को बढ़ावा देने को सामुहिक प्रयास किए जाने चाहिंए।
इंटरनल मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. रविकांत ने प्री-डायबिटीज की चिंताजनक व्यापकता पर जोर दिया, कहा कि यह एक ऐसी स्थिति बीमारी है जिस पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता लेकिन यह मधुमेह का प्राथमिक स्तर है। उन्होंने बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आने वाले मरीजों के मधुमेह के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
उत्तराखंड में गैर-संचारी रोगों की बीमारियों के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्तर पर रोकने के लिए एएफपीआई उत्तराखंड (AFPI UTTARAKHAND ) चैप्टर का गठन किया गया है, जिसकी कमान सीएफएम विभाग के अपर आचार्य डॉ. संतोष कुमार को सौंपी गई है। इसके साथ ही डॉ. शैली व्यास को उपाध्यक्ष व डॉ. महेंद्र सिंह को सचिव मनोनीत किया गया है। इस अवसर पर अगले वर्ष 27 से 29 सितंबर 2024 को प्रस्तावित प्राइमरी केयर फिजिशियंस की राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन के प्रथम फेज का संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह द्वारा उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर एम्स जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर अमित गुप्ता, हरिद्वार के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के. सिंह, मेडिकल कॉलेज पुणे में सामुदायिक चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. जे.वी. दीक्षित, डॉ. नेहा, डॉ. महेंद्र सिंह आदि ने विचार रखे। इस अवसर पर एएफपीआई उत्तराखंड चैप्टर के सदस्य, एसआर, जेआर, एमपीएच के विद्यार्थी व आयोजन समिति के सदस्य मौजूद रहे।
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए ऋषिकेश से ब्यूरो रिपोर्ट।