ध्रूमपान और शराब अवैध बिक्री चरम पर हो रही ब्लैक मार्केटिंग !

ध्रूमपान और शराब अवैध बिक्री चरम पर हो रही ब्लैक मार्केटिंग !

एक तरफ देश कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते लाक डाउन के हालातों से रूबरू है और लोग ऐसे मुश्किल हालातों में जरूरतमंदों की सहायता कर मदद की मिसाल कायम कर रहें है जो कुछ लोग ऐसे भी है जो इस नाजुक दौर को कमायी का अवसर जान मुनाफाखोरी कर रहें है। खासकर ध्रूमपान और शराब जैसी चीजें पर एक ओर सरकार द्वारा रोक लगाई गई है तो वहीं इनकी अवैध बिक्री चरम पर है। इन वस्तुओं पर जमकर ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। पहले तो इन चीजों की बिक्री पर रोक का औचित्य ही समझ से परे है। दूसरा यदि ऐसा करके सरकार जनता का भला चाहती है तो यह सब ब्लैक पर कैसे उपलब्ध हो रहीं है। यदि सरकार इन चीजों की ब्लैक मार्केटिंग नहीं रोक सकती तो उनकी बिक्री पर रोक लगाया क्यों गया है
दरअसल धू्रमपान एवं शराब जैसी चीजों को हमारे देश में विलासितापूर्ण व्यसन माना जाता है। और सरकारों एवं सामाजिक संगठनों की धारणा है कि इनपर ज्यादा टैक्स लगाकर पीने वालों को हतात्साहित किया जाना उचित है। उन्हें इन व्यसनों पर तमाम बुराईयां नजर आती है जबकि सच तो यह है कि बुराई इस चीजों पर नहीं है बल्कि इसको प्रयोग करने वालों की खुद को नियंत्रित न कर पाने की गलती इन सबको बुरा बना देती है। यह विचार करने योग्य है कि यदि सड़क पर आप वाहन पर कंट्रोल से नहीं चलाते तो गलती किसकी कहलायेगी? यहां पर भी यहीं कुछ हो रहा है। 
फिर धूम्रपान और शराब का विरोध करने के पीछे लगभग वहीं धरणा कायम है जैसा कि आजकल आम लोगों में पाया जाता है। यदि मैं मांस भक्षण नहीं करता या मुझे यह उचित प्रतीत नही होता तो दुनिया भी क्योंकर इसका सेवन करे। जबकि इस बात का अवश्य संज्ञान लिया जाये कि शराब केवल नशे का जरिया ही नहीं है बल्कि इसे आदिकाल से थकान मिटाने के लिए भी मेहनतकश लोगों द्वारा लिया जाता रहा है। प्राचीनकाल से ही धूम्रपान एवं शराब मनोरंजन एवं उत्सव के दौरान अनिवार्य रूप से परोसे जाने वाली वस्तु होती थी। ऐसे में लाकडाउन के दौरान सरकार को चाहिये कि वह इनकी बिक्री पर रोक को हटाये। या फिर जगह जगह ब्लैक में मिल रहीं इन चीजों पर रोक लगाये, लेकिन यह मुमकिन नही हो रहा है। इस तरह की प्रवृति देश और समाज के लिए व्यवहारिक नही है। 
Report of amit singh negi for idea for news from dehradun (uk) .

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