दिल्ली में क्रिकेटरों के चयन में धांधली की होगी जांच!

नई दिल्ली। फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में शनिवार को नॉर्थ जोन के अंडर-19 जेडसीए (जोनल क्रिकेट अकादमी) कैंप के लिए खिलाड़ियों के चयन में संयोजक सिद्धार्थ वर्मा पर धांधली का आरोप लगाते हुए एक चयनकर्ता आशु दानी चयनसमिति की बैठक छोड़कर चले गए थे। उन्होंने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विनोद राय की अध्यक्षता वाली प्रशासकों की समिति और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासक पूर्व जस्टिस विक्रमजीत सेन को मेल करके इसकी शिकायत की थी।

दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद डीडीसीए के पूर्व संयुक्त सचिव दिनेश शर्मा ने भी सेन से इस मामले की जांच कराने को ई मेल लिखा। सोमवार को जब इस बारे में विक्रमजीत सेन की सहयोगी मृणालनी सेन गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जस्टिस सेन मंगलवार को वापस लौटेंगे और इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी।

उधर संयोजक सिद्धार्थ वर्मा के सहयोगी की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें दानी को छोड़कर बाकी चारों चयनकर्ताओं के हस्ताक्षर हैं। इसमें लिखा गया है, ‘शनिवार को हुई चयनसमिति की बैठक बेहद सौहार्दपूर्ण ढंग से हुई। दानी ने एक लड़के को खिलाने का दबाव डाला। दानी ने संयोजक के साथ गलत व्यवहार भी किया और बैठक छोड़कर चले गए।’

जब इस बारे में दानी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह लिखकर वह अपने आप फंस गए हैं। संयोजक का काम जो चयनकर्ता कहें वह करना होता है। जब संयोजक के पास किसी खिलाड़ी को रखने और निकालने का अधिकारी ही नहीं है तो मैं चयनकर्ता होकर उनके साथ खराब व्यवहार क्यों करूंगा? मैंने तो उनके बैठक में जबरदस्ती दो चहेतों के खिलाने का दबाव डालने और काबिल लड़कों के नाम काटने पर अपना विरोध जताया। उनको किसी खिलाड़ी की पैरवी करने का हक ही नहीं था फिर भी वह ऐसा कर रहे थे। संयोजक का काम चयन करना नहीं है। मैं पूरे सत्र दिल्ली का चयनकर्ता रहा हूं। मुझे पता है कि कौन लड़का प्रदर्शन कर रहा है और कौन नहीं? मैंने उन्हें करीब से खेलते हुए देखा है। मैं इन सबकी पोल खोलूंगा।

डीडीसीए के चयनकर्ता आशु दानी ने कहा है मैं अपनी बात पर टिका हूं। अगर जस्टिस सेन जांच कराते हैं और मुझे बुलाया जाता है तो मैं वहां उपस्थित होकर अपना पक्ष रखूंगा और सच को सामने लाऊंगा।

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