सैनिकों को जल्द मिलने जा रहा ‘सुरक्षा कवच’, भारतीय सेना खरीदेगी 1750 FICV!

सैनिकों को जल्द मिलने जा रहा ‘सुरक्षा कवच’, भारतीय सेना खरीदेगी 1750 FICV!
Soldiers going to get ‘Safety Kavach’ soon, Indian Army will buy 1750 FICV :-

FICV हर तरह के इलाके में सैनिकों को रासायनिक, जैविक और न्यूक्लियर हथियारों (CBRN) के हमलों से सुरक्षित रख सकेंगे. साथ ही ये अंदर बैठे सैनिकों को हमले के समय बाहर निकलने पर उन्हें फायरिंग से मदद कर सकें.

नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) को और आधुनिक कॉम्बैट व्हीकल्स के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. सेना ने 1750 Futuristic Infantry Combat Vehicles (Tracked) यानि FICV खरीदने के लिए शुरुआती टेंडर जारी कर दिया है. जिस कंपनी को चुना जाएगा उसे 75 से 100 FICV हर साल भारतीय सेना को देने होंगे. भारतीय सेना अभी रूसी BMP इस्तेमाल करती है जो चार दशक तक पुराने हो चुके हैं. FICV को इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल भी कहते हैं जिसमें सवार सैनिकों को टैंक की तरह का बख्तर दुश्मन से सुरक्षित रखता है और वो दुश्मन पर भारी हथियारों से गोलाबारी कर सकते हैं.
इन खूबियों से लैस होंगे FICV

भारतीय सेना ने बुधवार को टेंडर जारी किया है जिसमें पाकिस्तान की सीमा यानि रेगिस्तान, मैदान और चीनी सीमा पर पूर्वी लद्दाख, उत्तरी सिक्किम और उत्तराखंड के इलाके में 15000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर काम करने में सक्षम FICV बनाने के प्रस्ताव मांगे गए हैं. इन्हें दिन और रात में धूल, रेत या खराब मैदानों में तेज रफ्तार में चलने में सक्षम होना चाहिए. ये FICV- 20 से लेकर 45 डिग्री तापमान में कार्रवाई करने के लिए बनाए जाएंगे. इनमें दुश्मन के टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों, हेलीकॉप्टर और दूसरे हथियारों को तबाह करने की काबिलियत होनी चाहिए.
सैनिकों का ‘सुरक्षा कवच’

ये हर तरह के इलाके में सैनिकों को रासायनिक, जैविक और न्यूक्लियर हथियारों (CBRN) के हमलों से सुरक्षित रख सकेंगे. साथ ही ये अंदर बैठे सैनिकों को हमले के समय बाहर निकलने पर उन्हें फायरिंग से मदद कर सकें. साथ ही इनकी डिजाइन ऐसी होनी चाहिए जिन्हें थोड़े बदलाव के साथ बख्तरबंद एंबुलेंस, मोर्टार कैरियर या कमान पोस्ट की तरह इस्तेमाल किया जा सके.
अभी होता है रूसी BMP का इस्तेमाल

मौजूदा युद्ध में टैंकों के साथ पैदल सेना को तेजी से चलने और दुश्मन की गोलाबारी से सुरक्षित रखने के लिए इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह की बख्तरबंद गाड़ियों में मशीनगन, मोर्टार, रॉकेट और मिसाइल फायर करने की सुविधा होती है. भारतीय सेना रूसी मूल के BMP का इस्तेमाल करती है जिसमें 7 सैनिक सवार होकर दुश्मन का मुकाबला कर सकते हैं. भारतीय सेना के लिए 1987 में पहला BMP 1987 में तेलंगाना के मेडक की ऑर्डिनेंस फैक्टरी में बनाया गया था.
इतने BMP हैं सेना के पास

वर्ष 2020 तक कुल 2500 BMP सेना को सौंपे जा चुके हैं. इनमें 30 मिमी की मुख्य केनन के साथ 7.62 मिमी की एक मशीनगन होती है. इसके अलावा ये एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और रॉकेट भी फायर कर सकता है. ये 45 से 65 किमी की रफ्तार से चल सकता है और नदी-नालों को भी 7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पार कर सकता है.

आईडिया फॉर न्यूज़ के लिए दिल्ली से हेमंत पंवार देहरादून से अमित सिंगीह नेगी की रिपोर्ट

Soldiers going to get ‘Safety Kavach’ soon, Indian Army will buy 1750 FICV :-
FICVs will be able to protect soldiers from chemical, biological and nuclear weapons (CBRN) attacks in all types of terrain. Also, they can help the soldiers sitting inside by firing them when they come out at the time of attack. New Delhi: The Indian Army will not have to wait much longer for more modern combat vehicles. The Army has issued an initial tender to buy 1750 Futuristic Infantry Combat Vehicles (Tracked) ie FICV. The company that will be selected will have to give 75 to 100 FICVs to the Indian Army every year. The Indian Army currently uses Russian BMPs which are as old as four decades. FICV is also called Infantry Combat Vehicle in which tank-like armor keeps the soldiers safe from the enemy and they can fire heavy weapons on the enemy. FICV will be equipped with these features The Indian Army has issued a tender on Wednesday in which proposals have been sought for making FICV capable of working at an altitude of more than 15000 feet in the area of ​​​​East Ladakh, North Sikkim and Uttarakhand on the Pakistan border i.e. desert, plain and Chinese border. They should be able to move at high speed during day and night in dusty, sandy or rough terrain. These FICVs will be made to act in temperatures ranging from 20 to 45 degrees. They should have the ability to destroy enemy tanks, armored vehicles, helicopters and other weapons. Soldiers’ ‘protective shield’ They will be able to protect soldiers from chemical, biological and nuclear weapons (CBRN) attacks in all types of terrain. Also, they can help the soldiers sitting inside by firing them when they come out at the time of attack. Also, their design should be such that they can be used as an armored ambulance, mortar carrier or command post with little modification. Russian BMP is currently in use In the current war, infantry combat vehicles are used along with tanks to keep the infantry moving fast and safe from enemy fire. Such armored vehicles have the facility to fire machine guns, mortars, rockets and missiles. The Indian Army uses Russian-origin BMP in which 7 soldiers can board and counter the enemy. The first BMP for the Indian Army was made in 1987 at the Ordnance Factory in Medak, Telangana in 1987. Army has so many BMPs Till the year 2020, a total of 2500 BMPs have been handed over to the army. These consist of a 7.62 mm machine gun with a 30 mm main cannon. Apart from this, it can also fire anti-tank guided missiles and rockets. It can run at a speed of 45 to 65 kmph and can also cross rivers and streams at a speed of 7 kmph.
Hemant Panwar from Delhi reports Amit Singhih Negi from Dehradun for Idea for News

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