सिनेमा के इन दिग्गजों को श्याम बाबू ने दिया बड़ा मौका, ‘मुजीब’ बनाकर की 12 साल बाद वापसी |
सिनेमा के इन दिग्गजों को श्याम बाबू ने दिया बड़ा मौका, ‘मुजीब’ बनाकर की 12 साल बाद वापसी |
श्याम बेनेगल एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर जाने जाते हैं जिनकी फिल्में यथार्थ और समाज की सच्चाई को पेश करती है। अभी इसी साल उन्होंने फिल्म ‘मुजीब’ बनाकर बड़े पर्दे पर वापसी की है। 14 दिसंबर 1934 को सिकंदराबाद के त्रिमुलघेरी (अब हैदराबाद) में जन्मे श्याम बेनेगल समानांतर सिनेमा के अग्रणी निर्देशकों में से एक रहे हैं। सिनेमा में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए श्याम बेनेगल को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें 18 बार नेशनल अवार्ड के अलावा पद्मश्री, पद्मभूषण, दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं। श्याम बेनेगल को कलाकारों की परख बहुत अच्छी है, उन्होंने शबाना आजमी, स्मिता पाटिल,नसीरुद्दीन शाह जैसे कई सितारों को अपनी फिल्मों के जरिए लांच किया है। आइए जानते हैं कि श्याम बेनेगल इन दिग्गज सितारों के अलावा और किन कलाकारों को अपनी फिल्मों में ब्रेक दिया है।
शबाना आजमी
श्याम बेनेगल ने शबाना आजमी को साल 1974 में बनी फिल्म ‘अंकुर’ के जरिए हिन्दी सिनेमा में लांच किया, हालांकि इस फिल्म के लिए शबाना आजमी पहली पसंद नहीं थीं। उस समय की कई प्रमुख अभिनेत्रियों ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया था। यह फिल्म बडी आलोचनात्मक सफल बन गई और इस फिल्म के लिए शबाना आजमी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। ‘अंकुर’ के अलावा शबाना आजमी श्याम बेनेगल की ‘निशांत’, ‘मंडी’, ‘अंतर्नाद’, ‘हरी भरी’ जैसी कई फिल्में कर चुकी हैं।
स्मिता पाटिल
श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल को साल 1975 में बनी फिल्म ‘चरणदास चोर’ में एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर दिया। इस फिल्म में स्मिता पाटिल के काम से श्याम बेनेगल काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उसी साल ‘निशांत’ में स्मिता पाटिल को फिल्म की नायिका के तौर पर लांच किया। ‘निशांत’ के अलावा स्मिता पाटिल श्याम बेनेगल की ‘मंथन’, ‘भूमिका’, ‘मंडी’ जैसी कई फिल्मों में काम कर चुकी थी। ‘भूमिका’ में अपने दमदार अभिनय के लिए स्मिता पाटिल को 1978 में ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया गया था। ‘
नसीरुद्दीन शाह
यूं तो नसीरुद्दीन शाह ने अपने करियर की शुरुआत साल 1967 में फिल्म ‘अमन’ से की थी। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह ने एक छोटा किरदार निभाया था और इसके बाद वह फिल्मों में छोटे मोटे रोल करने लगे। लेकिन सही मौका उन्हें श्याम बेनेगल की फिल्म ‘निशांत´ में साल 1975 में मिला। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह ने महत्वपूर्ण किरदार निभाया था। इस फिल्म के बाद नसीरुद्दीन शाह ने श्याम बेनेगल की ‘मंथन’, ‘भूमिका’, ‘त्रिकाल’,’जूनून’ और ‘मंडी’ जैसी कई फिल्मों में काम किया। इन सभी फिल्मों में नसीरुद्दीन शाह के काम को खूब पसंद किया गया।
दलीप ताहिल
थियेटर में श्याम बेनेगल की नजर दिलीप ताहिल पर पड़ी और श्याम बेनेगल ने उन्हें ‘अंकुर’ में काम करने का मौका दिया। इस फिल्म में दलीप ताहिल का रोल बड़ा था, लेकिन जब प्रीमियम पर वो फिल्म देखने गए तो शॉक्ड रह गए, क्योंकि उनका रोल सिर्फ एक सीन में सिमट कर रह गया। जब उन्होंने श्याम बेनेगल से सवाल पूछा तो उन्हें पता चला कि फिल्म की लम्बाई ज्यादा हो गई थी इस लिए सीन को एडिट करना पड़ा। इस फिल्म के बाद दलीप ताहिल को श्याम बेनेगल के साथ फिर कभी काम करने का मौका नहीं मिला और बाद में वह कमर्शियल फिल्मों में ज्यादा व्यस्त हो गए।
कुलभूषण खरबंदा
कुलभूषण खरबंदा को भी फिल्मों में सबसे पहला मौका श्याम बेनेगल ने ही साल 1975 में रिलीज फिल्म ‘ निशांत’ में दिया था। इस फिल्म के बाद कुलभूषण खरबंदा, श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’, ‘भूमिका’, ‘जुनून’ और ‘कलयुग’ सहित कई फिल्मों में काम किया। साल 1980 में रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शान’ से वह बॉलीवुड की मुख्यधारा की सिनेमा से जुड़ गए और कई सफल फिल्मों का हिस्सा रहें।
ओम पुरी
वैसे तो ओमपुरी ने साल 1976 में मराठी फिल्म ‘घसीराम कोतवाल’ से फिल्मों में कदम रखा। लेकिन हिंदी सिनेमा में लाने का श्रेय श्याम बेनेगल को ही जाता है। ओम पुरी ने श्याम बेनेगल की फिल्म ‘भूमिका’ के जरिए हिंदी सिनेमा में कदम रखा, यह फिल्म साल 1977 में प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में ओम पुरी ने नसीरुद्दीन शाह,अमोल पालेकर और अमरीश पुरी के साथ काम किया था। ओम पुरी कलात्मक और व्यवसायिक दोनो तरह की सिनेमा के साथ जुड़े रहें और अपने फिल्मी करियर के दौरान कई यादगार भूमिकाएं निभाई हैं।
आईडिया फॉर न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |