पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव यूपी सिंह ने वेबिनार को किया संबोधित

 

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव यूपी सिंह ने वेबिनार को किया संबोधित।

 

आईआईटी रुड़की और भारतीय जल संसाधन समिति ने ‘एनहैंसमेंट ऑफ इरीगेशन वाटर यूज एफिशिएंसी फॉर फ्यूचर फ़ूड सिक्योरिटी’ विषय पर आयोजित किया नेशनल वेबिनार
– बतौर मुख्य अतिथि जल शक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार विभागतथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव यूपी सिंह ने वेबिनार को किया संबोधित
रुड़की, 16thअक्टूबर 2020: आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग और भारतीय जल संसाधन समिति (आईडबल्यूआरएस) द्वारा ‘एनहैंसमेंट ऑफ इरीगेशन वाटर यूज एफिशिएंसी फॉर फ्यूचर फ़ूड सिक्योरिटी’ विषय पर नेशनल वेबिनार आयोजित किया गया। बतौर मुख्य अतिथि, जल शक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार विभाग तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव व भारतीय जल संसाधन समिति के अध्यक्ष श्री यूपी सिंह ने वेबिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। वहीं,वेबिनार के तकनीकी सत्र में अंतरराष्ट्रीय सिंचाई एवं जल निकास आयोग(नई दिल्ली) के पूर्व महासचिव ईं. अविनाश चंद्र त्यागी, आईआईटी खड़गपुर से प्रो. के एन तिवारी, जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन विभाग (नई दिल्ली) के कमिश्नर के. वोहरा, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से प्रो. पी. के सिंह, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस(बेंगलुरु) से प्रो. शेखर मुड्डु और हरियाणा से ई.दिनेश राठी समेत कई वक्ताओं ने अलग-अलग विषयों पर अपना वक्तव्य दिया।

उन्होंने ‘अटल भूजल योजना’ के शुभारंभके अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री द्वारा कहे शब्दों का जिक्र करते हुए कई उदाहरणों सेकिसानों से इस बात को समझने का आग्रह किया कि वास्तव में हमें अपनी फसलों को पानी देना है, न कि खेत को।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित के चतुर्वेदी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा,‘ तकनीकी का इस्तेमाल कर किसानों को सिंचाई में प्रयोग के लिए जल की उपयुक्त मात्रा की जानकारी उपलब्ध कराई जा सकती है. किसानों के फ़ोन से ली गई तस्वीरों, सैटेलाइट्स द्वारा मिटटी में नमी की मात्रा का आकलन, एवं सैटेलाइट इमेजरी से संकलित जानकारी पर विकसित कंप्यूटरों द्वारा शोध कर कृषि वैज्ञानिक और इंजिनियर किसानों को आसान भाषा में किसी ख़ास फ़सल की सिंचाई में प्रयोग के लिए जल की मात्रा एवं आवृत्ति की सूचना दे सकते हैं.
प्रो० चतुर्वेदी ने आगे कहा कि,‘यदि किसानों को यह सूचना सरल व स्थानीय भाषा में उनके मोबाइल फ़ोन पर एप के जरिए मिल जाए तो इससे न सिर्फ सिंचाई जल में अनावश्यक व्यय में बचत होगी बल्कि किसान को आर्थिक लाभ भी होगा। इसके लिए उन्होंने जल क्षेत्र में काम करने वाले इंजीनियर्स को इस तकनीक पर काम करने का सुझाव दिया।

वेबिनार का संचालनकर रहे भारतीय जल संसाधन समिति के सचिव तथा डब्ल्यूआरडीएम विभाग में प्राध्यापक प्रो. आशीष पाण्डेय ने भारतीय जल संसाधन समिति के कार्य एवं इतिहास के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1980 में अपनी स्थापना काल से ही यह सोसाइटी जल संरक्षण एवं संवर्धन विशेषकर, कृषि क्षेत्र में जल की उपयोगिता को लेकर समाज में जन जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से समय-समय पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, सिम्पोजियम तथा वर्कशॉप आयोजित करती आ रही है।

इस वेबिनार का समापन आईडब्ल्यूआरएस के सचिव तथाआईआईटी रुड़की के प्रोफेसर आशीष पाण्डेयद्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

आइडिया फ़ॉर न्यूज़ के लिए देहरादुन से अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट।

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