हरिद्वार में हुई बैठक में सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी और श्री महंत राजेंद्र दास को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष व महामंत्री निर्वाचित घोषित किया
हरिद्वार। संन्यासी अखाड़ा महानिर्वाणी अखाड़े की अगुआई में तीनों बैरागी अणियों, बड़ा अखाड़ा उदासीन और निर्मल अखाड़े ने महानिर्वाणी अखाड़े में हुई बैठक में महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी और निर्मोही अणि के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास को आम सहमति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष व महामंत्री निर्वाचित घोषित किया है। इसी के साथ उन्होंने अखाड़ा परिषद की पूरी कार्यकारिणी की घोषणा भी की है। जिसमें बड़ा अखाड़ा उदासीन के श्री महंत दामोदर दास को उपाध्यक्ष, श्रीमहंत जसविंदर सिंह शास्त्री, को कोषाध्यक्ष श्री महंत राम किशोर दास को मंत्री, श्री महंत गौरी शंकर दास को प्रवक्ता, श्री महंत धर्मदास को और श्री महंत महेश्वर दास को संरक्षक घोषित किया गया है।
इस आशय की जानकारी देते हुए अध्यक्ष बनाए गए महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्री महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि बैठक अखाड़े अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री महंत देवेंद्र शास्त्री ने बुलाई थी और उन्हीं की देख-रेख में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सभी पदों पर निर्वाचन का कार्य आम सहमति से संपन्न हुआ। बताया कि बैठक में अखाड़ा परंपरा के संन्यासी वैष्णव निर्मल और उदासीन सात अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि चयनित कार्यकारिणी ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी है और इसके चयन के बाद प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की होने वाली बैठक का कोई औचित्य नहीं रह गया है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि नई कार्यकारिणी सभी अखाड़ों में एकता का प्रयास करेगी और जल्द ही इस संदर्भ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बड़ी बैठक हरिद्वार में बुलाई जाएगी। श्री महंत रविंद्र पुरी ने पूछे गए इस प्रश्न की अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरिगिरि ने इस बैठक को अवैध करार दिया है और कहा है कि 25 अक्टूबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में परिषद की कार्यकारिणी का चयन होगा, को निराधार बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अखाड़ा परिषद की बैठक अध्यक्ष के कहने पर महामंत्री बुलाता है और श्री महंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने के बाद कार्यकारी अध्यक्ष श्री महंत देवेंद्र शास्त्री ने इस बैठक को बुलाया था इसलिए इसे अवैध या गैरकानूनी कहना अनुचित है।