अमेरिका ने काबुल में मौजूद अपने जवानों के ऊपर इस्‍लामिक स्‍टेट के आतंकियों के हमले का खतरा बताया

वाशिंगटन अमेरिका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने आगाह किया है कि इस्‍लामिक स्‍टेट (आइएसआइएस) काबुल में मौजूद उनके जवानों पर हमला कर सकते हैं। उन्‍होंने सीधेतौर पर अपने जवानों को आइएस से खतरा बताया है। उन्‍होंने कहा कि ये खतरा काफी बड़ा है। इसलिए अमेरिका अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी को लेकर हर संभव उपायों का इस्‍तेमाल करना चाहता है। न्‍यूयार्क टाइम्‍स की खबर के मुताबिक अमेरिकी एनएसए ने ये बात एक चैनल से हुई बातचीत में कही है। उनसे पूछा गया था कि काबुल एयरपोर्ट पर जिस तरह की भीड़ दिखाई दे रही है, उसमें उन्‍हें क्‍या कहीं आतंकी हमले की आशंका दिखाई देती है।

यूएस एनएसए के अलावा अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने भी इसी तरफ इशारा किया है। जो बाइडन ने व्‍हाइट हाउस में हुई प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि वो जानते हैं कि आतंकी इस मौके का फायदा उठा सकते हैं। उन्‍होंने ये भी कहा कि आतंकी आम लोगों को निशाना बना सकते हैं कि। इसके अलावा उनके निशाने पर अमेरिकी जवान भी हैं। इसलिए अमेरिका हर वक्‍त पूरी सतर्कता बरत रहा है। वो किसी भी तरह से इस आशंका को खत्‍म करना चाहता है। इस्‍लामिक स्‍टेट के आतंकियों के खतरे की आशंका के मद्देनजर उन्‍होंने अमेरिकी दूतावास और वहां मौजूद अमेरिकियों को भी सतर्क किया है। उन्‍होंने कहा है कि अमेरिकी अफगानिस्‍तान की यात्रा न करें। इसके अलावा जो वहां पर मौजूद हैं वो एयरपोर्ट के गेट पर भी न एकत्रित हों।

अमेरिका ने कहा है कि तालिबान के आने के बाद समस्‍या गंभीर हो चुकी हे। वहां पर कई आतंकी संगठन हैं। इनके तालिबान के साथ अलग-अलग संबंध हैं। तालिबान वर्ष 2001 से पहले तक अलकायदा का सहयोगी संगठन था। वहीं अब तालिबान ने काबुल पर कब्‍जे के बाद आइएस और दूसरे संगठनों के आतंकियों को जेलों से रिहा कर दिया है। इन सभी ने तालिबान का साथ देने का भी वादा किया है। आने वाले समय में हालात और खराब हो सकते हैं।

गौरतलब है कि तालिबान ने 15 अगस्‍त को काबुल पर कब्‍जा किया था। इसके बाद से एक तरफ तालिबान अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने की बात कह रहा है वहीं दूसरी तरफ वो आंतकियों को रिहाई भी दे रहा है। इतना ही नहीं वो अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय को ये भी धमकी दे रहा है कि वो उनके खिलाफ सैन्‍य अभियान चलाने की गलती न करे।

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