उत्तराखण्ड के 5 PCS, 2 IAS बहाल ? भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का बड़ा फैसला !
आचार संहिता समाप्त होते ही 23 मई को भारतीय जनता पार्टी समर्थित उत्तराखण्ड सरकार ने दिखाया अपना असली चेहरा। 300 करोड़ रुपए के एनएच 74 घोटाले मे निलंबित अफसरों को सरकार ने शुक्रवार को बहाल कर भ्रष्टाचार की एक नई मिसाल पेश की है। इस घोटाले मे निलंबित 5 पीसीएस
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अफसरों और 2 आईएएस अफसरों को बहाल कर दिया गया है। सवाल ये उठता है की क्या ये प्रक्रिया आचार संहिता के कारण रुकी हुई थी या चुनावी माहौल मे भाजपा ने विपक्ष और जनता की चौकननी नज़रो से डरकर अपनी नीयत के इस खोट को छूपाना चाहती थी ?
जिन 5 पीसीएस अफसरों को निलंबित किया गया था उन्हे आज सियासी दबाव मे दोबारा बहाल किया गया है। उनके नाम है डीपी सिंह, तीरथ पाल, अनिल शुक्ला, नंन्दन सिंह नगन्याल और भगत सिंह फौनियाल। इनके अलावा जिन 2 आईएएस अफसरों को भी उत्तराखंड सरकार ने कुछ ही महीने पहले बहाल किया उनके नाम है पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव। ये सभी तमाम सूत्रो व सबूतो के अनुसार राज्य के सत्ताधारी राजनैतिक दल के करीबी माने जाते है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व मे इन अफसरों की गिरफ़्तारी को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बढ़ा कदम माना गया था। अभी जो बात साफ होती नज़र आ रही है कि यह सब बस जनता की आंख मे ईमानदारी की धूल झोंककर उन्हे बहकाने लोक सभा में बहुमत हासिल करना था ।
विषय दरसल यह है कि अधिकारियों ने कृषि भूमि को अकृषि दिखाने के साथ ही मुआवजा राशि वितरण में भारी घोटाला किया है। इसी मामले में करीब एक वर्ष से राजस्व परिषद से संबद्ध किए गए इन पांच पीसीएस अधिकारियों को बहाल कर दिया गया है। यह निर्णय काफी सवाल खड़े करता है। पहली चीज़ तो यह की हाई कोर्ट के जारी किए बेल पर वह राज्य सरकार जिसने इन अफसरो के खिलाफ आवेदन जारी की थी वे इसको आगे न्यायालय मे अपील करने के कार्य को स्थगित कर रहे है। ना ही सीबीआई और ना ही ईडी इस घोटाले के जांच मे सक्रिय है।क्या एनएच 74 मे 300 करोड़ रुपयो का घोटाला एक भ्रष्टाचार का विषय नही? क्या सीबीआई और ईडी सियासत मे इस्तमाल होने वाले केवल अस्त्र मात्र बन गए है? क्या देश और राज्य के सत्ताधारी दल का इस घोटाले से सीधा सम्बन्द्ध है? हालात देखकर तो कुछ ऐसा ही लग रहा है।
ये अत्यंत ज़रूरी है की हम इस घोटाले की जाँच कर इसके पीछे छुपे मुजरिमो को ढूंढ निकाले। उल्टा यह देखा जा रहा है की मौजूदा आरोपियों को बहाल कर सरकार और सत्ताधारी दल अपनी मिलीभगत को छुपाने के काम मे समर्पित है। कुछ सवाल जिनका अभी भी कोई जवाब नही है कि इस घोटाले का असल मे भारतीय जनता पार्टी के साथ क्या रिश्ता है? ऐसा क्यो है कि इन आरोपियो पे चार्जशीट फाइल कर इन्हें जेल मे भरा गया? और अगर आज उन्हे चुनाव के उपरांत पुनः स्थित किया जा रहा है तो उसके पीछे क्या वजह है? क्या जनता को सचमुच यहा गुमराह किया गया है? इन बातो का कोई ठोस जवाब अगर है तो है भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के पास लेकिन राजनीती आड़े आ जाती है जनता के पैसे का ज़िम्मेदारी कोन ?
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट