निजी हित साधने के फेर में खाद्य मंत्री लूट रही लाखों उपभोक्ताओं को ! मोर्चा
निजी हित साधने के फेर में खाद्य मंत्री लूट रही लाखों उपभोक्ताओं को ! मोर्चा
#महंगी दाल जबरन थमाई जा रही कार्ड धारकों को | #दाल बाजार में है सस्ती और राशन दुकानों में महंगी| #महंगी दाल थोपकर जनता पर जताया जा रहा एहसान | #लूट के नित नये प्रयोग किये जा रहे हैं निजी स्वार्थ पूर्ति को | विकासनगर- जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार की ‘मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना’ के नाम पर खाद्य मंत्री रेखा आर्य द्वारा प्रदेश भर की सस्ता गल्ला दुकानों के माध्यम से जबरन प्रत्येक कार्ड धारक को प्रतिमाह 2 किलो दाल बाजारू मूल्य से महंगे दामों में देकर निजी हित साधने (बड़ा खेल) के उद्देश्य से दिन के उजाले में लूटने का काम किया जा रहा है| हैरान करने वाली बात यह है कि इससे अच्छी गुणवत्ता वाली दाल मलका बाजार में 70-72 रुपए किलो मिल रही है तथा वही दाल खाद्य मंत्री ₹79 प्रति किलोग्राम कार्ड धारकों को थमा कर एहसान कर रही हैं | काबिल- ए-गौर करने वाली बात यह है कि अगर दाल निर्धारित मूल्य से दो-तीन रुपए महंगी हो जाती है तो दाल राशन की दुकानों पर आनी बंद हो जाती है और वही दाल जब बाजार में सस्ती हो जाती हैं तो कार्ड धारकों को जबरन महंगे दामों पर थमाई जाती है | हाल ही में 5- 6 दिन पहले अर्बन बाय नामक सुपर स्टोर द्वारा यही डाल ₹69 प्रति किलो के बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित हुए हैं | दूसरी ओर दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार ₹15 की सब्सिडी देकर जनता पर एहसान कर रही है | उक्त तथ्य बहुत ही गैर जिम्मेदाराना एवं जनता को लूटने जैसा है | अगर सरकार यही दाल 60-62 रुपए किलो देती तो निश्चित तौर पर जनता लाभान्वित होती, लेकिन यहां तो खाद्य मंत्री सिर्फ अपना व्यावसायिक तंत्र मजबूत करने की लगी हैं| नेगी ने कहा कि ‘महान’ खाद्य मंत्री के काले कारनामों की वजह से जनता को निम्न गुणवत्ता का नमक भी जबरन थोपा जा रहा है, जिसको मोर्चा कतई बर्दाश्त नहीं करेगा | कार्ड धारक राज्य सरकार व केंद्र सरकार का फर्जी एहसान नहीं लेना चाहते | मोर्चा सरकार से मांग करता है कि खाद्य मंत्री द्वारा की जा रही इस प्रकार की लूट से जनता को निजात दिलाने की दिशा में कार्रवाई करें | पत्रकार वार्ता में- ठाकुर भाग सिंह व प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे |