विधायकों की सुख- सुविधाएं बढ़ाने के मामले हों उच्च न्यायालय के अधीन- मोर्चा
विधायकों की सुख- सुविधाएं बढ़ाने के मामले हों उच्च न्यायालय के अधीन- मोर्चा
#वेतन 30 हजार और पेंशन लेते हैं 40 हजार | #वर्ष 2008 में था वेतन मात्र ₹3 हजार | #सीमाओं पर तैनात अर्धसैनिक बलों व अन्य कार्मिकों को नहीं है पेंशन मान्य | विकासनगर- जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के महान विधायकों को जब अपने वेतन- भत्ते, सुख- सुविधाओं, निधि आदि को बढ़ाना होता है तो एक मिनट में विधानसभा में ध्वनि मत से बिल पास हो जाता है|प्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि एक विधायक को वेतन ₹30,000 प्रतिमाह और पेंशन ₹40,000 मिलती है | यह अलग बात है कि ये महाशय प्रतिमाह निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, ईंधन आदि भत्तों के नाम पर लगभग 3 लाख रुपया जनता की गाढ़ी कमाई से डकारते हैं | देश- प्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि देश की सीमाओं पर तैनात जवानों और प्रदेश के कार्मिकों को पेंशन का हक नहीं है | हैरान करने वाली बात यह है कि वर्ष 2008 में विधायक को ₹3,000 वेतन का प्रावधान था, जोकि 14- 15 वर्षों में बढ़कर ₹30,000 हो गया | यानी 10 गुना बढ़ोतरी हो गई | इसी प्रकार विधायक निधि की राशि भी लगभग 4 करोड रुपए अपने हक में करवा चुके , जिसमें 30 से 40 फ़ीसदी कमीशन खोरी किसी से छुपी नहीं है |अपने हितों के लिए ये विधायक रात- रात में अपने वेतन- भत्ते- पेंशन व अन्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए बिल पास करा लेते हैं, लेकिन बेरोजगारों, किसानों, कर्मचारियों और आमजन के मुद्दों पर इनको सांप सूंघ जाता है मोर्चा विधायकों की सुख-सुविधाओं पर अंकुश लगाने को मा. उच्च न्यायालय की शरण लेगा |
Idea for news ke liye dehradun se Amit singh negi ki report.