एम्स में गोल्डन कार्ड से मरीज का 6 लाख का इलाज

एम्स में गोल्डन कार्ड से मरीज का 6 लाख का इलाज
एम्स ऋषिकेश में रोगी को किया गया सीआरटी-डी मशीन का सफल प्रत्यारोपण सालभर से हार्ट फेलियर की समस्या से जूझ रहा थे नैनीताल के बुजुर्ग
सरकारी योजना में बड़ी राशि से उपचार का उत्तराखंड में पहला मामला
प्रेस विज्ञप्ति

हार्ट फेलियर की समस्या से जूझ रहे नैनीताल निवासी एक व्यक्ति के उपचार में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने मरीज को बिना बेहोश किए सफलतापूर्वक सीआरटी-डी मशीन प्रत्यारोपित की है। उत्तराखंड राज्य का यह पहला मामला है, जिसमें एम्स में हुए इलाज पर किसी गोल्डन कार्ड धारक को 6 लाख रुपए का लाभ मिला है। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे एम्स अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

पुलिस लाइन, नैनीताल निवासी 62 वर्षीय मोहम्मद हासिम पिछले एक साल से हार्ट फेलियर की समस्या से ग्रसित थे। रोगी को सांस फूलने और हृदय की पम्पिंग एक समान नहीं होने से उसे अक्सर बेहोशी आने की शिकायत थी। यहां तक कि कभी-कभी उसके दिल की धड़कन भी कुछ समय के लिए रुक जाती थी।

मरीज का सफलतापूर्वक उपचार करने वाले एम्स के काॅर्डियोलाॅजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. बरुण कुमार ने बताया कि रोगी का जीवन बचाने के लिए उसके शरीर में स्पेशल पेसमेकर की तरह कार्य करने वाली एक सीआरटी-डी डिवाइस लगाई जानी बेहद जरूरी थी। रोगी को लंबे समय से बार-बार सांस फूलने की तकलीफ भी थी। जांच में पाया गया कि उसका हार्ट फंक्शन सही ढंग से कार्य नहीं कर रहा है और हार्ट का साइज भी बड़ा हो चुका है। ऐसे में मरीज का जीवन बचाने के लिए सीआरटी-डी डिवाइस लगाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि सीआरटी-डी डिवाइस लगाने की प्रक्रिया में ढाई घंटे का समय लगा है। डा. बरुण ने बताया कि डिवाइस लगाने की यह प्रक्रिया उच्च तकनीक के आधार पर मरीज को बिना बेहोश किए संपन्न कराई गई है। उन्होंने बताया कि पेशेंट के इलाज का खर्च गोल्डन कार्ड योजना द्वारा वहन किया गया है। उन्होंने बताया कि मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। सीआरटी-डी प्रत्यारोपित करने वाले चिकित्सकों की टीम में डा. बरुण के अलावा सीनियर रेजिडेंट डा. शिशिर, स्टाफ नर्सिंग ऑफिसर हंसराज, इन्दू, विपिन, हरिमोहन, अंकित आदि शामिल थे।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने मरीज को डिवाइस प्रत्यारोपण की जटिल प्रक्रिया को सकुशल अंजाम देने वाले चिकित्सकों की टीम के कार्य की सराहना की है। उन्होंने बताया कि संस्थान में मरीजों को वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि जटिल से जटिल बीमारी के इलाज के लिए भी एम्स, ऋषिकेश में उच्च अनुभवी चिकित्सक और आधुनिक मेडिकल तकनीकें उपलब्ध कराई गई हैं। इस बाबतआयुष्मान भारत योजना के उत्तराखंड राज्य समन्वयक अतुल जोशी ने एम्स में हुए इस उपचार के बारे में बताया कि गोल्डन कार्ड धारक किसी भी व्यक्ति के उपचार में 5 लाख से अधिक धनराशि खर्च होने वाला यह राज्य में पहला मामला है।
इंसेट
क्या है हार्ट फेलियर
हार्ट फेलियर (दिल की विफलता) एक गंभीर बीमारी है। डा. बरुण ने बताया कि कुछ लोगों का हृदय शरीर के अन्य अंगों का सहयोग करने के लिए पर्याप्त स्तर पर पम्प नहीं करता है। ऐसे में हृदय की मांसपेशियां कठोर हो जाने के कारण हृदय से रक्त का प्रवाह कम या अवरुद्ध हो जाता है। यदि मरीज का समय पर इलाज नहीं हुआ तो उसके जीवन को क्षति पहुंच सकती है।

सीआरटी-डी
जिन लोगों को हार्ट फेलियर की समस्या होती है, उनके लिए सीआरटी-डी (कार्डियक रीसिंक्रोनाइजेशन थैरेपी डिफिब्रिलेटजिन) आधुनिक तकनीक आधारित यह विशेष पेसमेकर बहुत लाभकारी है। सीआरटी-डी एक विशेष प्रकार का पेसमेकर है, जिसे शरीर में हृदय और कंधे के मध्य भाग में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह मशीन माचिस की डिब्बी के आकार की होती है। यह हार्ट की पम्पिंग को बढ़ाने का काम करती है।

Idea for news ke liye rishikesh se amit singh negi ki report.

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