आंदोलनकारी कृषि बिलों में संशोधन नहीं केवल उसकी *वापसी ही क्यों* चाहते हैं ?

आंदोलनकारी कृषि बिलों में संशोधन नहीं केवल उसकी *वापसी ही क्यों* चाहते हैं ?

क्योंकि —

*सनसनीखेज खुलासे*

अब “भ्रष्टाचार” का धन,
कृषि आय की आड़ में छुपाने पर रोक लगेगी

*दिलीप आप्टे जी* के एक आलेख से इस एंगल पर रोशनी पड़ी कि, दलाल बचाओ और अपनी राजनीतिक जमीन खो रही पार्टियों के बीच किसान बिल के *नए फार्म रिफॉर्म की जड़* क्या है और राजनेता इससे क्यों को चिंतित हैं?

इसे सही ढंग से समझने के लिए इस विश्लेषण को पढ़ें।

*नई प्रणाली में*, कृषि उपज के व्यापारियों को केंद्रीय प्राधिकरण के साथ अपने *PAN* के साथ उन्हें पंजीकृत करना होगा।

प्रथम स्तर का लेनदेन जो (किसान और व्यापारी के बीच) जीएसटी प्रणाली के दायरे से बाहर है।

धीरे-धीरे, आगे कृषि व्यापार (पंजीकृत व्यापारियों) को जीएसटी प्रणाली में लाया जाएगा।

नतीजतन, कृषि उपज की बिक्री और आय सरकार के रिकॉर्ड में मिल जाएगी।

खेल यहाँ से शुरू होगा। किसान तो हमेशा आयकर और जीएसटी प्रणाली से मुक्त रहेंगे।

लेकिन जो ट्रेडर्स इन एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को अप-स्ट्रीम बेचते हैं, उन्हे जीएसटी और इनकम टैक्स के दायरे में लाया जाएगा

इसे यहाँ आसानी से समझने के लिए एक *उदाहरण* है।

अगर सुप्रिया सुले और चिदंबरम को अपने अंगूर और गोभी को व्यापारियों को क्रमशः 500 करोड़ रुपये में बेचना है, तो उन्हें आयकर से छूट रहेगी, लेकिन उन्हें अपने आईटीआर में जिस व्यापारी को माल बेच उसके PAN को उद्धृत करना होगा।

ट्रेडर को अप-स्ट्रीम में माल को बेचकर अपनी आय पर 500 करोड़ रुपये और आयकर पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।

कल्पना कीजिए कि यदि कोई अंगूर और कोई गोभी है ही नहीं (सिर्फ भरष्टाचार का पैसा है) तो स्वाभाविक रूप से, व्यापारी सुप्रिया सुले या चिदंबरम से जीएसटी और आयकर वसूल करेगा!

इसलिए, सभी सुले, सभी चिदंबरम, सभी भ्रष्ट नेताओं को, जो कमीशन एजेंट और दलाल हैं, उन्हें अपनी कृषि आय दिखाने के लिए अब एक बड़ी रकम का भुगतान इनकम टैक्स और GST के रूप में भुगतना होगा। ये रकम करोड़ों में नही बल्कि अरबों में है।

ईमानदार किसान, जिनके पास वास्तव में कृषि उपज थी, वे इस दायरे से मुक्त रहेंगे।

यही इस *मामले कि जड़* है। इसलिए सारे भ्रष्टाचारी बिलबिला रहे हैं, यदि ये बिल रहा तो उनके भ्रष्टाचार से कमाए ख़ज़ाने में छेद हो जायेगा।

पंजाब और महाराष्ट्र में कृषिगत भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा है, साथ ही वाड्रा के साम्रज्य का बड़ा हिस्सा हरियाणा में है, तो विरोध वहीं से आ रहा है!

यदि कल को अम्बानी अडानी इन किसानों से माल खरीदते भी हैं तो उन्हें उस खरीद पर सरकार को GST और टैक्स देना होगा जो अब तक टैक्स से बचा हुआ था।

अब आप समझ सकते हैं कि सारे विपक्षी राजनेता आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा करने में इतना भारी धन क्यों खर्च कर रहे हैं।

अगर भारत से भ्रष्टाचार को आमूल चूल खत्म करना है तो , इन कृषि बिलों के पीछे छुपी देशभक्त सरकार की राष्ट्र निर्माण की मंशा को समझना होगा और सभी देशप्रेमियों को सरकार व बिलों का भरपूर समर्थन करना होगा।

देशहित में इसे सभी को फारवर्ड जरूर कीजिएगा।

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