इण्डिया योर डेस्टिनी इन थाईलैण्ड!
मुख्यमंत्री ने बुधवार को (बैकाॅक)थाईलैण्ड में भारत सरकार के सहयोग से थाईलैण्ड एवं उत्तराखण्ड सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘‘‘इण्डिया योर डेस्टिनी, योर न्यू डेस्टिनेशन’’ (फोकस आॅन उत्तराखण्ड) को सम्बोधित किया। उन्होंने इस आयोजन के लिये भारतीय राजदूत के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि थाईलैण्ड भारत के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।
वर्ष 2016 में थाई प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देश द्विपक्षीय सहयोग और व्यापार संवर्धन को मजबूत करने पर सहमत हुए थे। थाईलैण्ड भारत का एक विश्वसनीय और एक मूल्यवान दोस्त है और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे करीबी साझेदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच, लोगों के मध्य आपसी सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आने से दस लाख से अधिक भारतीय प्रतिवर्ष थाईलैण्ड भ्रमण पर जा रहे है।
वास्तव में, इसके परिणामस्वरूप, भारत और थाईलैण्ड के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले दशक में दोगुने से अधिक हो गया है और दोनों देशों के बीच के सम्बन्धों से कई क्षेत्रों में व्यापक विस्तार हुआ है।
उत्तराखण्ड ने औद्योगिक नीति, स्टार्ट-अप पाॅलिसी और अन्य सेक्टर-विशिष्ट की नीतियों के माध्यम से इन पहलों के परिणामस्वरूप उत्तराखण्ड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 2004-05 से 2015-16 के बीच 16.03 प्रतिशत की एक समग्र वार्षिक वृद्वि दर से वृद्वि हुई है ।’’ईज आॅफ डुईग बिजनेस’’ इस प्रकार की एक और पहल है, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने विश्व बैंक ग्लोबल ’’डुईग बिजनेस’’ रैंकिंग में 30 अंको की ऊंची छलांग लगाकर शीर्ष 100 देशों की सूची में अपना स्थान बनाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी उद्यमशीलता की भावना, नवीन दृष्टिकोण और एक स्थिर, सुलभ सरकार द्वारा संचालित उत्तराखण्ड विकास की ओर अग्रसर हो रहा है उत्पादक औद्योगिक वातावरण, निवेशकों के अनुकूल नीतियों, उत्कृष्ट मानव संसाधन, गुणवत्तायुक्त बुनियादी ढांचा, अनुकूल मौजूद है।
उत्तराखण्ड दुर्लभ जैव विविधता से समृद्ध है और राज्य में 175 से अधिक दुर्लभ सुगन्धित और औषधीय पौध प्रजातियां पायी जाती है।
उत्तराखण्ड की 70 प्रतिशत से अधिक भूमि वनों से आच्छादित है। उत्तराखण्ड राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बहुत करीब है पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कारोबारी माहौल में सुधार के लिए राज्य में निवेशक-अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है
उत्तराखण्ड ने विकास और समृद्धि का रास्ता चुना है और हम समान लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये उत्तराखण्ड में थाईलैण्ड की कम्पनियों से भागीदारी के लिए आग्रह करते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखण्ड में उपलब्ध विशाल अवसरों के उपयोग के लिए थाईलैण्ड की कम्पनियों उत्तराखण्ड में निवेश के लिये आगे आयेंगी।
ख्यमंत्री का थाईलैण्ड में स्वागत करते हुये थाइलैण्ड की वाणिज्य उपमंत्री चतीमा बनीपराफासरा ने कहा कि थाईलैण्ड उत्तराखण्ड की आर्थिक संभावनाओं को स्वीकार करता है विशेषकर कृषि क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण व पर्यटन क्षेत्र में।
उन्होंने कहा कि भारत थाइलैण्ड का प्रमुख व्यापारिक साझीदार है। पिछले पांच वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार 8.6 बिलियन डाॅलर तक पहुँच गया है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में की गई भारत यात्रा के दौरान हमें ‘न्यू इण्डिया’ पाॅलिसी की जानकारी प्राप्त हुई। ‘न्यू इण्डिया’ नीति आधारभूत संरचना विकास ,विनियमन, मानव संसाधन, श्रम तथा प्रोएक्टिव अप्रोच जैसे बहुत से पहलुओं को आच्छादित करती है।
थाईलैण्ड-भारत मुक्त व्यापार समझौते के अन्र्तगत 82 उत्पादों को रखा गया है। थाईलैण्ड का भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2005-2016 वर्ष के बीच लगभग 7.1 बिलियन डाॅलर था। थाइलैण्ड की प्रमुख कम्पनियों ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि,खाद्य प्रसस्करण खनिज व आॅटोमोबाइल मशीनरी आदि में निवेश किया। इसके साथ ही भारत की थाइलैण्ड में एफ0डी0आई0 2005-2016 के बीच 4.2 बिलियन डाॅलर रहा।
इस अवसर पर थाईलैण्ड में भारत के राजदूत भगवंत सिंह विश्नोई ने कहा कि उत्तराखण्ड और थाईलैण्ड के मध्य निवेश प्रोत्साहन के व्यापारिक मार्ग के कई क्षेत्र हो सकते है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड तथा थाईलैण्ड के प्रतिनिधियों के मध्य हुए विचार-विमर्श से उत्तराखण्ड में निवेश के प्रति उद्यमी अपना सहयोग देंगे।
इस अवसर पर वाणिज्य मंत्रालय थाईलैण्ड के स्थाई सचिव नूनतान साकुन्तनागा, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, सचिव दिलीप जावलकर, इन्वेस्ट इंडिया की वायस प्रेसिडेन्ट सुश्री प्रिया रावत, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार के.एस. पंवार आदि उपस्थित थे।
दिल्ली/देहरादून से आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट/