10वीं जापान इंटरनेशनल कार्यशाला का सुभारम्भ!
मुख्यमंत्री ने बुधवार को मसूरी के एक स्थानीय होटल में 10वीं जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन ऐसोसिएशन (जायका) राष्ट्रीय कार्यशाला का विधिवत शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र द्वारा अखरोट की बागवानी एवं अवनत वनों के सुधारीकरण पर पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया गया।
कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भूमिका महत्वपूर्ण-मुख्यमंत्री
10वीं जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन ऐसोसिएशन (जायका) राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन पर 13 राज्यों के प्रतिनिधियों तथा भारत सरकार के अधिकारियों को बधाई व शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगलो के संरक्षण व संर्वद्धन में कार्यशाला व प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्यशाला में साझा किए गए अनुभव व ज्ञान से विभागीय प्रगति के लिए काम किए जाते है। कार्यशाला के माध्यम से जंगलों की गतिविधियों के संचालन व संरक्षण में सहायता मिलती है।
वनों के संरक्षण व भूमि क्षरण के समाधान में वन पंचायतों व जायका की अहम भूमिका-मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 11000 वन पंचायतें है। जायका द्वारा भी वन पंचायतों को वित्तीय सहायता दी जाती है। राज्य में भूमि क्षरण की समस्या अधिक है क्योंकि राज्य का हिमालयी क्षेत्र दलदली है। जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन ऐसोसिएशन (जायका) द्वारा दी जा रही तकनीकी सहयोग से भू क्षरण रोकने में सहायता मिलेगी। जायका की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन द्वारा वन सरंक्षण, भू-क्षरण रोकने तथा मिटटी की गुणवत्ता में सुधार व मिट्टी में खनिजो की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
बच्चों मे वनो के प्रति अपनत्व को पैदा करना होगा- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वनाग्नि की समस्या को रोकने के लिए जागरूकता व सामाजिक सहभागिता को बढ़ाना होगा। स्कूली छात्र-छात्राओं में वनों के प्रति अपनत्व व दायित्व बोध पैदा करना होगा। सिविक सेन्स की तरह ही बच्चों में स्कूली जीवन से ही जंगलों के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित करनी होगी। वन अधिकारियों को स्कूलों में जाकर बच्चों से वनों के महत्व व सरंक्षण पर चर्चा करनी चाहिए।
देहरादून से आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए अमित सिंह नेगी की रिपोर्ट/