विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरुकता सप्ताह का चौथा दिन: स्थानीय फार्मेसी में जनजागरुकता का आयोजन
विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरुकता सप्ताह का चौथा दिन:
स्थानीय फार्मेसी में जनजागरुकता का आयोजन
विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरुकता सप्ताह का चौथा दिन:
स्थानीय फार्मेसी और अस्पताल में जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन
विश्व एंटीमाइक्रोबियल जनजागरुकता सप्ताह (WAAW) के अंतर्गत बृहस्पतिवार को डॉ. महेंद्र सिंह की अध्यक्षता में टीम WAAW, सामुदायिक चिकित्सा विभाग (CFM) द्वारा स्थानीय फार्मेसी दुकानों का दौरा किया गया। इस अभियान का उद्देश्य फार्मासिस्टों के माध्यम से आम जनता में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) के खतरों के प्रति जागरुकता संदेश देना है।
आयोजन सचिव एवं जनरल मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. प्रसन्न कुमार पंडा की अगुवाई में आयोजित सप्ताहव्यापी जनजागरुकता अभियान के चौथे दिन एम्स, ऋषिकेश के विशेषज्ञों की टीम ने फार्मासिस्टों के मध्य इस बात पर जोर दिया कि वह बिना चिकित्सक के पर्चे के किसी भी रोगी को एंटीमाइक्रोबियल दवाएं हरगिज नहीं दें और ओवर-द-काउंटर एंटीमाइक्रोबियल्स की बिक्री को रोकें। फार्मासिस्टों को इस पहल के महत्व को समझाते हुए उन्हें जनता की सुरक्षा में अपनी भूमिका सुनश्चित करने व आमजनमानस के स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया गया।
अस्पताल और स्कूलों में रोल प्ले के माध्यम से जागरुकता मुहिम
बृहस्पतिवार को एम्स अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक और एक स्थानीय स्कूल में छात्रों ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध, हाथ और श्वसन स्वच्छता पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए। इन कार्यक्रमों में लगभग 250 से अधिक मरीजों और उनके परिजनों ने भाग लिया।
रोल प्ले के बाद उपस्थित लोगों के पूछे गए प्रश्नों का उत्तर वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी (CNO) सुश्री रीता शर्मा, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. रुचिका रानी, डॉ. सुकृति यादव (माइक्रोबायोलॉजी विभाग), और डॉ. मनीष शर्मा ने दिया।
नर्सिंग फैकल्टी डॉ. राखी मिश्रा ने बताया कि चिकित्सक की सलाह के बिना किसी भी व्यक्ति को मनमुताबिक कोई भी दवा मेडिकल स्टोर्स से नहीं लेनी चाहिए। साथ ही डॉक्टर द्वारा जो एंटीबायोटिक्स किसी मरीज को खाने को कही गई हो, वह दवा खाने के लिए किसी और व्यक्ति को न दें और न ही ऐसी सलाह दें। चाहे उसे वही बीमारी ही क्यों न हो जो पहले वाले मरीज को थी, लिहाजा उसे चिकित्सक से परामर्श देने को कहना चाहिए। उन्होंने बताया कि हैंड हाईजीन हाथों की ठीक प्रकार से स्वच्छ रखने से इन्फेक्शन से बचा जा सकता है, ताकि एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता ही नहीं पड़े। उन्होंने यह जानकारियां सभी लोगों से साझा करने की अपील की है।
स्वास्थ्य कर्मचारियों के बीच जागरुकता सत्र
कार्यक्रम की श्रृंखला में आइस-ब्रेकिंग और जागरुकता बढ़ाने के लिए 10 टीमों ने विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया। इन टीमों में विशेषज्ञ फैकल्टी सदस्य, ANS (असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट) और सीनियर रेजिडेंट्स चिकित्सक शामिल थे। एएनएस आशुतोष शर्मा व गिरिराज के समन्वय में टीमों ने लगभग 160 स्वास्थ्य कर्मचारियों (HCWs) को एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खतरों और इससे निपटने के उपायों पर प्रशिक्षण दिया।
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आयोजन सचिव का संदेश
कार्यक्रम के आयोजन सचिव एवं जनरल मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. प्रसन्न कुमार पंडा ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के बढ़ते खतरों पर चिंता व्यक्त करते हुए इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल्स का सही और सीमित उपयोग ही इस चुनौती से निपटने का एकमात्र तरीका है।
इस जागरुकता अभियान ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, फार्मासिस्टों, और आम जनता के बीच AMR के प्रति जिम्मेदार व्यवहार अपनाने की प्रेरणा दी। यह पहल भविष्य में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।