राष्ट्रवाद पर आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते मसूरी विधायक गणेश जोशी।

राष्ट्रवाद पर आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते मसूरी विधायक गणेश जोशी।

देहरादून 24 फरवरी : देहरादून के बिधोली स्थित युर्निवसिटी ऑफ पेट्रोलियम एण्ड ऐनर्जी सांइस में आयोजित समकालीन भारत में राष्ट्रवाद पर गोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर प्रदेश के बागपत से सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा सत्यपाल सिंह ने गोष्ठी को सम्बोधित किया।
गोष्ठी में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुॅचे मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि समकालीन भारत में राष्ट्रवाद की परिभाषा को बताना अब ज्यादा जटिल नहीं है क्योंकि इस समय वैश्विकतावाद की बात चल रही है। उन्होनें कहा कि भारत की स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाली राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता राष्ट्रवाद के सवाल पर तब भी अस्पष्ट थे और आज भी। साल 1933 में महात्मा गांधी के शुरू किए तीव्र सविनय अवज्ञा आंदोलन के बाद कांग्रेस नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी आंदोलन और अंग्रेजी राज के बीच संपर्क पूरी तरह से टूट गया था. उसके बाद जवाहरलाल नेहरू ने एक सवाल उठा कर उसे अनुत्तरित छोड़ दिया था, ’’हम किसकी स्वतंत्रता के लिए प्रयत्नशील हैं, क्योंकि राष्ट्रवाद में तो बहुत से पाप और विरोधाभासी तत्व भी शामिल हैं?’’
विधायक जोशी ने छात्रों को बताया कि भारतीय जनता पार्टी का तेजी से विकास 1989 में शुरू हुआ, लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही हुआ कि पार्टी 2014 और 2019 के चुनावों में लोकसभा में अपने दम पर बहुमत हासिल करते हुए आधिपत्य की स्थिति में पहुंच गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के लिए राष्ट्रवाद का अर्थ है, वह बात मुखर होकर कहने की क्षमता जिसे दीनदयाल उपाध्याय ने ’भारतीय चिति’ के रूप में बताया है, और जिसे मोटे तौर पर भारत की आत्मा कहा जा सकता है। इसका हिंदुत्व सांस्कृतिक है और उस संहिताबद्ध राजनैतिक हिंदुत्व से अलग है जिसकी पैरोकारी लगभग सौ साल पहले सावरकर ने की थी।
इस अवसर पर भाजयुमो स्टडी सर्किल के राष्ट्रीय प्रमुख दिग्विजय सिंह, अरुण ढ़ाढ, ममता मोहन, पार्षद संजय नौटियाल, अनुज कौशल, श्याम सुन्दर चौहान, धीरज थापा, बालम सिंह आदि उपस्थित रहे।

Idea for news ke liye dehradun se amit singh negi ki report.

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