यूपी -CBI के दावे हो गए धुंआ-धुंआ… जिस सुरेंद्र कोली को बताया नरपिशाच, एक याचिका ने खोल दिए सारे राज!
यूपी -CBI के दावे हो गए धुंआ-धुंआ… जिस सुरेंद्र कोली को बताया नरपिशाच, एक याचिका ने खोल दिए सारे राज!
बहुचर्चित निठारी कांड के केंद्र में रहा सुरेंद्र कोली फांसी पर लटकाए जाने से महज कुछ दिन पहले दो बार बाल-बाल बच गया था और सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया. कोली ने कानूनी प्रक्रिया के खतरनाक उतार-चढ़ाव को पार किया और 2011 तथा 2014 में दो मृत्यु वारंट (फांसी की सजा के क्रियान्वयन) से बच गया. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा शुरू में दुष्कर्म और हत्या के 16 मामलों में आरोपी बनाए गए घरेलू सहायक कोली को गाजियाबाद की एक विशेष अदालत ने तीन मामलों में बरी कर दिया था, लेकिन शेष 13 मामलों में उसे मौत की सजा सुनायी थी.
नोएडा में 2005-2006 में हुए निठारी हत्याकांड के बारे में तो आप सब को याद होगा. इस कांड के 18 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है और अन्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंडेर को भी बाइज्जत छोड़ने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए ‘लापरवाही तरीके और लापरवाह’ जांच के लिए उत्तर प्रदेश (यूपी) पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सहित जांच एजेंसियों की फटकार लगाई है. कोर्ट ने पाया कि निठारी हत्याकांड में एकमात्र अपराधी के रूप में घरेलू नौकर सुरेंद्र कोली पर ध्यान केंद्रित करके, जांच अधिकारियों ने कुख्यात अपराधों के पीछे अंग तस्करी के व्यापार के असली मकसद होने की महत्वपूर्ण संभावना को नजरअंदाज किया है. न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिज़वी की खंडपीठ ने 308 पन्नों के फैसले में कहा कि अंग व्यापार की संभावित संलिप्तता की जांच करने में विफलता एजेंसियों द्वारा ‘सार्वजनिक विश्वास के साथ विश्वासघात’ से कम नहीं है. आपको बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के मोनिंदर सिंह पंडेर तो रिहा हो गया है लेकिन सुरेंद्र कोली एक केस में उम्रकैद की सजा काट रहा है तो उसे अभी जेल में रहना होगा.
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए लखनऊ से ब्यूरो रिपोर्ट।