बिहार -नीतीश कुमार ने सेट किया 2024 का एजेंडा, जानें कैसे पड़ेगा चुनाव पर असर!
बिहार -नीतीश कुमार ने सेट किया 2024 का एजेंडा, जानें कैसे पड़ेगा चुनाव पर असर!
आरक्षण बढ़ाने का फैसला जातीय जनगणना के बाद नीतीश कुमार का यह बड़ा दांव है. या यूं कहे कि 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा सेट करने की कोशिश है.
नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए एक बड़ा चुनावी दांव चला है. नीतीश कैबिनेट ने 65 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दे दी है. इसके बाद EWS जोड़कर आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत हो गया है. आरक्षण बिल 9 नवंबर को सदन में पेश होगा. जातीय जनगणना के बाद नीतीश कुमार का यह बड़ा दांव है. या यूं कहे कि 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा सेट करने की कोशिश है.
किस वर्ग को कितना आरक्षण?
बिहार की नीतीश कुमार कैबिनेट ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत और अति पिछड़ा वर्ग को दिए गए 18 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 25 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति को दिए गए 16 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति को दिए गए 1 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर अब 2 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के लिए भी 10 प्रतिशत का आरक्षण है.
बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े
बिहार के जातिगत गणगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 4.7 करोड़ है और कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी 36.01 प्रतिशत है. पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 3.54 करोड़ है और इसकी हिस्सेदारी 27.12 प्रतिशत है. बिहार में अनुसूचित जाति की संख्या 2.5 करोड़ है और अनुसूचित जनजाति की संख्या 21 लाख है. एसटी की हिस्सेदारी 19.65 प्रतिशत और एससी की हिस्सेदारी 1.68 प्रतिशत है. बिहार में सामान्य वर्ग की जनसंख्या 2.02 करोड़ है और कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी 15.52 प्रतिशत है.
आरक्षण बढ़ने से क्या पड़ेगा असर?
जब से बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट आई थी, तभी से इस बात के आसार जताए जा रहे थे कि आरक्षण को बढ़ाया जा सकता है. अगर, नीतीश कैबिनेट का प्रस्ताव पास हो जाता है तो अनारक्षित सीटें 40 प्रतिशत से कम होकर 25 प्रतिशत रह जाएंगी. आरक्षण बढ़ाने के फॉर्मूले से पिछड़ी जातियां खुश होंगी, क्योंकि उनकी हिस्सेदारी बढ़ रही है. इससे अगले चुनाव में महागठबंधन को फायदा मिल सकता है.
आर्थिक रूप से गरीब लोगों को साधने की भी कोशिश
आरक्षण बढ़ाने के साथ ही नीतीश कुमार ने गैर-आरक्षित वर्ग के आर्थिक रूप से गरीब परिवारों को भी साधने की कोशिश की है. नीतीश ने 94 लाख से ज्यादा गरीब परिवारों को दो लाख रुपये तक की राशि देने का ऐलान किया है. आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में कुल 94.42 लाख गरीब परिवार हैं, जिसमें से 25.09 प्रतिशत परिवार सामान्य वर्ग के हैं. 6 हजार से कम मासिक आय वाले परिवारों को इसमें शामिल किया गया है, जिन्हें सरकार किश्तों में 2 लाख रुपये की मदद देगी, ताकि वो अपना कोई रोजगार कर पाएं और अपना घर बनवा पाएं. आर्थिक रूप से गरीब परिवारों को मदद की योजना भी अगले चुनाव में नीतीश कुमार और महागठबंधन के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती है.
2024 के चुनाव से पहले आरक्षण का दांव?
बिहार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि हम लोगों ने जो कर दिखाया है. आखिरकार बीजेपी को भी बिहार में समर्थन करना पड़ रहा है. यही हम लोग की सामाजिक न्याय है और हमने कर दिखाया है कि अंतिम पायदान पर जो व्यक्ति है उसको सब अधिकार मिलकर रहेगा. इसमें आर्थिक के साथ-साथ शैक्षणिक आधार भी सामने हैं. इस आधार पर सरकार फैसला लेगी. जिसको घर नहीं है उसे घर दिया जाएगा, जिसके पास जो संसाधन नहीं है उसके लिए उन्हें पैसे दिया जाएंगे. आरक्षण बढ़ाए जाने को लेकर सरकार काम कर रही है.
कॉपी पेस्ट विद थैंक्स
आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट।