नीडल से होने वाली चोटों की रोकथाम हेतु एचएमडी (HMD) ने नर्सिस डे पर नर्सों को डिस्पोजेक्ट सिरिंजिस समर्पित की
नीडल से होने वाली चोटों की रोकथाम हेतु एचएमडी (HMD) ने नर्सिस डे पर नर्सों को डिस्पोजेक्ट सिरिंजिस समर्पित की
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ट्रांज़िशनल और विकासशील देशों में सालाना 16 अरब से अधिक इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
दुनिया भर में लगभग 2.70 करोड़ पुरुष एवं महिलाएं नर्सों एवं दाई का काम कर रहे हैं।
ये सभी वैश्विक स्वास्थ्य कार्यबल का 50 प्रतिशत हैं।
एचएमडी (HMD) की डिस्पोजेक्ट सिरिंज सुरक्षा नीडल के संग नर्सों को NSI (नीडल स्टिक इंजरी) यानी सुई से लगने वाले ज़ख़्मों से सुरक्षा देती है।
देहरादून, 12 मई 2024: अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की विश्व स्तरीय विनिर्माता हिन्दुस्तान सिरिंजिस एंड मेडिकल डिवाइसिस (एचएमडी) ने आधुनिकतम एवं अपने किस्म की पहली डिस्पोजेक्ट सिंगल यूज़ सिरिंज सेफ्टी नीडल के साथ लांच की है जो नर्सों को नीडल स्टिक इंजरी (एनएसआई) यानी सुई से लगने वाली चोटों से सुरक्षा प्रदान करती है। एचएमडी द्वारा डिस्पोजेक्ट सिरिंज की पेशकश विश्व नर्स दिवस पर दुनिया भर की नर्सों की दृढ़ता व क्षमता का उपयुक्त सम्मान है। दुनिया भर में लगभग 2.70 करोड़ पुरुष एवं महिलाएं नर्सों एवं दाई का काम कर रहे हैं। ये सभी वैश्विक स्वास्थ्य कार्यबल का 50 प्रतिशत हैं।
हिन्दुस्तान सिरिंजिस एंड मेडिकल डिवाइसिस (एचएमडी) के प्रबंध निदेशक राजीव नाथ ने कहा, ’’दुनिया भर में नर्सें रोजाना नीडल स्टिक इंजरी के जोखिम का सामना करती हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर खून से होने वाले संक्रमण का खतरा मंडराता रहता है। डिस्पोजेक्ट सिरिंज इस चिंता का प्रभावी ढंग से निवारण करती है और उन लोगों का ख्याल रखती है जो हमारा ख्याल रखते हैं।’’
बैंगलुरु के कृष्णादेवराया कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसिस के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हैल्थ डेंटिस्ट्री द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार बीते 12 महीनों में कुल 27.5 प्रतिभागियों को नीडल स्टिक इंजरी हुई है। 41.80 प्रतिशत चोटें डिवाइस रिकैपिंग के दौरान लगीं। 29.09 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि उन्होंने एनएसआई की सूचना इसलिए दर्ज नहीं कराई क्योंकि उन्हें डर था कि इसके लिए उनको दोषी ठहराया जाएगा या फिर एनएसआई की वजह से वे किसी मुश्किल में पड़ जाएंगे।
उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित एरा’ज़ लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ कम्यूनिटी मेडिसिन ने 2021 में एक अध्ययन किया था जिसमें एनएसआई का आंकड़ा 20.1 प्रतिशत पाया गया। उप-समूहों की बात करें तो सार्वजनिक तथा निजी अस्पतालों में नीडल स्टिक इंजरी के आंकड़़े क्रमशः इस प्रकार थेः- नर्सों में 26.6 प्रतिशत व 31.3 प्रतिशत, टेक्नीशियनों में 37.5 प्रतिशत व 16.7 प्रतिशत, वार्ड बॉयज़ में 15 प्रतिशत एवं 12.5 प्रतिशत, सफाई कर्मियों में 15.6 प्रतिशत व 9.4 प्रतिशत।
इसके अलावा सी.यू. शाह मेडिकल कॉलेज, सुरेन्द्रनगर, गुजरात के डिपार्टमेंट ऑफ कम्यूनिटी मेडिसिन द्वारा 2023 में संचालित अध्ययन में पाया गया कि नर्सों व डॉक्टरों में एनएसआई का आंकड़ा 58 प्रतिशत था।
’’नर्सिंग के कार्य में इंजेक्शन लगाना, खून के सैम्पल लेना व अन्य कई ऐसे काम होते हैं जिनमें नुकीले/ धारदार उपकरणों से वास्ता पड़ता है जिसके चलते ज़ख़्म/चोट की संभावना बढ़ जाती है। डिस्पोजेक्ट यह सुनिश्चित करेगा कि नर्सों को चोट लगने की इन घटनाओं से संपूर्ण सुरक्षा मिले,’’ राजीव नाथ ने कहा।
उन्होंने आगे बताया, ’’सेफ्टी शील्ड से लैस डिस्पोजेक्ट सिरिंज न केवल एनएसआई की अहम चिंताओं का ख्याल रखती है बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्कृष्टता की दिशा में बतौर मार्केट लीडर हमारी प्रतिबद्धता को भी दोहराती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान ’मेक इन इंडिया’ के प्रति हमारे संकल्प से निकला यह उत्कृष्ट परिणाम है जो विकसित भारत के ध्येय की पूर्ति में अपना योगदान दे रहा है।’’
डिस्पोजेक्ट सिंरिज को यूके की स्टार सिरिंजिस के तकनीकी सहयोग से लांच किया गया है। इसमें तीखी चोटों सेे बचाव की खासियत है और इसे स्टैंडर्ड डिस्पोवैन सिंगल यूज़ सिरिंज या कोजैक ऑटो डिसेबल सेफ्टी इंजीनियर्ड सिरिंज (इंजेक्शन के बाद यह अपने आप निष्क्रिय हो जाता है ताकि दुबारा इस्तेमाल न किया जा सके) पर लगाया जा सकता है; इस प्रकार यह खून से होने वाले संक्रमण से बचाव करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के ट्रांज़िशनल और विकासशील देशों में सालाना 16 अरब से अधिक इंजेक्शन लगाए जाते हैं। हालांकि एनएसआई अहानिकर प्रतीत होती है, किंतु विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2003 की रिपोर्ट बताती है ऐक्सिडेंटल एनएसआई के 30 लाख मामले हुए थे, जिससे स्वास्थ्य कर्मियों में हैपेटाइटिस बी के 37 प्रतिशत नए केस सामने आए, हैपेटाइटिस सी के 39 प्रतिशत नए केस सामने आए और एचआईवी के लगभग 5.5 प्रतिशत नए मामले दर्ज किए गए। गौर तलब है कि चिकित्सा कर्मियों में एनएसआई से होने वाली बीमारियों का बोझ काफी ज्यादा है।
डिस्पोजेक्ट एसआईपी (शार्प इंजरी प्रिवेंशन) शील्ड की प्रमुख विशेषताओं में शामिल है एक हाथ से सक्रिय होने वाला सुरक्षा तंत्र (सुई निकालने व इस्तेमाल के तुरंत बाद); किफायती एवं प्रतिस्पर्धी कीमत; शार्प 3-बैवेल्ड सिलिकॉनाइज़्ड नीडल जो मरीज की तकलीफ को न्यूनतम करती है; और यूज़र-फ्रैंडली यानी कि इंजेक्शन तकनीक में बदलाव की जरूरत नहीं।
’’डिस्पोजेक्ट एसआईपी नीडल यूके, जर्मनी, स्विटज़रलैंड, जापान व भारत के इंजीनियरों के 4 वर्षों के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है। इसे किफायती मूल्य पर बड़े पैमाने पर उत्पादन हेतु डिजाइन किया गया है जिससे की इसकी उपलब्धता तेजी से बढ़ाई जा सके। अन्य देशों में जो डिजाइन इस्तेमाल किए जा रहे हैं उनके मुकाबले इसमें कम पुर्ज़े लगे हैं और इसकी लागत भी काफी कम है,’’ राजीव नाथ ने जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ’’हमने अब तक डिस्पोजेक्ट पर तकरीबन 40 ट्रेनिंग प्रोग्राम किए हैं। हम नर्सों को प्रशिक्षण दे रहे हैं कि वे डिस्पोजेक्ट को किस तरह इस्तेमाल करें कि जिससे वे संक्रामक रोगों से सुरक्षित रहें।’’
–