दिल्ली में एयर पॉल्यूशन के 3 सबसे बड़े गुनहगार, कौन कितना जिम्मेदार? क्या सिर्फ ऑड-ईवन से साफ हो जाएगी जहरीली हवा!

दिल्ली में एयर पॉल्यूशन के 3 सबसे बड़े गुनहगार, कौन कितना जिम्मेदार? क्या सिर्फ ऑड-ईवन से साफ हो जाएगी जहरीली हवा!

दिल्ली-एनसीआर के इलाके गैस चैंबर में तब्दील हो चुके हैं. पीएम 2.5 और पीएम 10 का खतरनाक स्तर है. सवाल यह है कि जब इतने उपायों को अमल में लाने के दावे किये जा रहे हैं तो असर क्यों नहीं दिख रहा. एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण के लिए तीन वजहें हैं.

दिल्ली और एनसीआर का दम फूल रहा है. जहरीली हवा की वजह से तरह तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकारें तर्कों के जरिए यह बता रही हैं कि प्रदूषण पहले की तुलना में कम है. लेकिन नवंबर की 15 तारीख तक सिर्फ सात दिन ही ऐसे रहे जिसमें लोगों ने खुली हवा में सांस ली. अगर इसकी तुलना पिछले साल नवंबर में महज तीन दिन हवा जहरीली रही. यहां सवाल है कि आखिर प्रदूषण के पीछे वो कौन सी वजहें जिम्मेदार हैं. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए ऑड ईवन के तर्क को रखा. लेकिन अदालत ने फटकार लगा दी. अदालत ने दिल्ली सरकार से कई सवाल भी किए. इन सबके बीच यहां पर हम तीन वजहों का जिक्र करेंगे जो जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार हैं.

वैसे तो दिल्ली के सभी इलाकों में लोग प्रदूषण की मार झेल रहे हैं. लेकिन कुछ इलाके ऐसे हैं जो ज्यादा जिम्मेदार हैं. यहां पर मुंडका, आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, द्वारका, जहांगीरपुरी, नरेला, ओखला, पंजाबी बाग, आरके पुरम, रोहिणी और विवेक विहार में चल रही गतिविधियों को समझिए. ये इलाके भले ही दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में हों प्रदूषण में इनकी हिस्सेदारी करीब करीब एक जैसी है.

मुंडका में अर्बन एक्सटेंशन रोड का कंस्ट्रक्शन

आनंद विहार बस स्टेशन पर हमेशा जाम की दिक्कत, रोड पर धूल

अशोक विहार में वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में धूल

बवाना में अर्बन एक्सटेंशन रोड का कंस्ट्रक्शन और धूल

द्वारका में कूड़े की डंपिंग, आरटीआर पर ट्रैफिक कंजेशन

जहांगीरपुरी में स्लम वाले इलाकों में कोयले का जलाया जाना

नरेला में कूड़े की डंपिंग और धूल

इन तीन वजहों से प्रदूषण
इन इलाकों की तस्वीर से पता चलता है कि कंस्ट्रक्शन के काम और धूल हवा को जहरीली बनाने में मददगार है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में 13, 14 और 15 नवंबर का खास जिक्र किया गया है. इस रिपोर्ट में मुख्य तौर पर पीएम 2.5 में इजाफे के लिए गाड़ियों को जिम्मेदार बताया गया है.

पहले नंबर पर गाड़ियां जिम्मेदार, 13 नवंबर को पॉल्यूशन में गाडियों की हिस्सेदारी 44 फीसद, 14 नवंबर को 45 फीसद और 15 नवंबर को 33 फीसद थी.

दूसरे नंबर पर पाव प्लांट, ईंट के भट्टे, औद्योगिक इकाइयों, खुली नालियां.

तीसरे नंबर पर पराली का जलाया जाना.14 फीसद, 15 फीसद और 27 फीसद बॉयोमास बर्निंग को जिम्मेदार बताया गया है.

सड़कों पर दौड़ रहीं गाड़ियां बड़े गुनहगार

इन आंकड़ों से साफ है कि दिल्ली की हवा जहरीली बनाने के लिए गाड़ियां ही मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या ऑड ईवन के जरिए गाड़ियों से होने वाले पॉल्यूशन पर लगाम लगाया जा सकता है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल किया था कि क्या आपके पास कोई पुख्ता जानकारी है कि गाड़ियों से कितना प्रदूषण हो रहा है. या आप जब ऑड ईवन की बात करते हैं तो उससे कितना फायदा मिला है. अदालत ने कहा कि हम ऑड ईवन के उपाय पर तो रोक नहीं लगाने जा रहे हैं. हालांकि यह आपको सोचना होगा इसके अलावा और दूसरे रास्ते क्या हो सकते हैं, अदालती सवाल पर सरकार ने जवाब दिया कि दिल्ली में बाहर से आने वाली डीजल गाड़ियों पर रोक है, ट्रकों के दिल्ली में दाखिल होने पर पूरी तरह रोक है.

कॉपी पेस्ट विद थैंक्स

आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट।

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