उत्तरखण्ड- फूलों की घाटी की खूबसूरती बढ़ा रहा हिमालयन पीका, जानें इस ‘बिना पूंछ के चूहे’ के बारे में!
उत्तरखण्ड- फूलों की घाटी की खूबसूरती बढ़ा रहा हिमालयन पीका, जानें इस ‘बिना पूंछ के चूहे’ के बारे में!
हिमालयन पीका का वैज्ञानिक नाम ओचोटोना हिमालया है. यह खरगोश परिवार का सदस्य है. स्थानीय लोग इसे ‘बिना पूंछ वाला चूहा’ भी कहते हैं. इसे जलवायु परिवर्तन का संकेतक माना जाता है.
चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित ‘फूलों की घाटी’ दुर्लभ फूलों, वनस्पतियों, ट्रेकिंग के लिए दुनियाभर में मशहूर है. वहीं घाटी में अब दुर्लभ जीव भी संरक्षित हो रहे हैं, जिससे यहां आने वाले पर्यटक भी इससे खुश दिखाई दे रहे हैं. फूलों की घाटी में 7 साल पहले हिमालयन पीका (Himalayan Pika) की प्रजाति संकटग्रस्त जीवों में शामिल की गई थी, लेकिन घाटी में लगातार पीका की संख्या में इजाफा हो रहा है.
हिमालयन पीका का वैज्ञानिक नाम ओचोटोना हिमालया है. यह खरगोश परिवार का सदस्य है. स्थानीय लोग इसे ‘बिना पूंछ वाला चूहा’ भी कहते हैं. इसे जलवायु परिवर्तन का संकेतक माना जाता है. हिमालयन पीका नेपाल, तिब्बत और भारत में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम के उच्च हिमालयी क्षेत्र के साथ-साथ उत्तराखंड में भी पाया जाता है. राज्य में ये तुंगनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में पाए जाते हैं. IUCN ने इस प्रजाति को ‘कम से कम चिंता वाली’ प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया है.
जैव विविधता से हिमालयन पीका का संबंध
हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता बनाए रखने में हिमालयन पीका की खास भूमिका है क्योंकि यह घास और पत्तियों को भोजन के रूप में खाते हैं, जिससे पौधों की कटाई-छंटाई होती रहती है. पीका को साल 2016 में चिंताग्रस्त जीवों की सूची में शामिल किया गया था. प्लास्टिक कचरे और ग्लोबल वार्मिंग के कारण इन जीवों की संख्या में कमी देखी गई थी, जिसे देखते हुए दुनियाभर में जीव-जंतुओं की प्रजातियों का डाटा एकत्र करने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने इस प्रजाति को 2016 में चिंताग्रस्त श्रेणी में शामिल किया था. ऐसे में विश्व धरोहर फूलों की घाटी में हिमालयन पीका की संख्या बढ़ने को विशेषज्ञ अच्छा संकेत मान रहे हैं.
फूलों की घाटी में कितने हिमालयन पीका?
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के प्रभागीय वनाधिकारी वी.वी. मर्तोलिया बताते हैं कि फूलों की घाटी में हिमालयन पीका की संख्या में इजाफा हुआ है. इसका डाटा तैयार कराया जा रहा है. ट्रेकिंग कराने वाले संजय कुंवर पर्यटकों को फूलों की घाटी की सैर करा रहे हैं. फूलों का दीदार करते हुए पीका दिख रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस बार घाटी में पीका की संख्या पिछले वर्षों के मुकाबले ज्यादा दिखाई दे रही है, जिससे पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
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आइडिया फॉर न्यूज़ के लिए शिमला से ब्यूरो रिपोर्ट।